ये मेरी दादी का गाँव
ये मेरी दादी का गाँव-2,
बयार चले मस्तानी है।
मिट्टी की सौंधी सी खुशबू,
मन को हरने वाली है।।
ये मेरी दादी का गाँव-2
दिन भर खेलो मौज मनाओ,
लस्सी पियो आम खाओ।
खुली हवा में दौड़ लगाओ,
झूला झूलो नभ छू आओ।
ये मेरी दादी का गाँव-2
मधुर कूक ये कोयल की,
मन पुलकित कर जाती है।
दूर-दूर फैली हरियाली,
तन शीतल कर जाती है।
ये मेरी दादी का गाँव-2
कल-कल करती ये निर्झरिणी,
मुझको ये सिखलाती है।
आगे बढ़ना कभी ना रुकना,
बढ़ना ही जिंदगानी है।
ये मेरी दादी का गाँव-2
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
बयार चले मस्तानी है।
मिट्टी की सौंधी सी खुशबू,
मन को हरने वाली है।।
ये मेरी दादी का गाँव-2
दिन भर खेलो मौज मनाओ,
लस्सी पियो आम खाओ।
खुली हवा में दौड़ लगाओ,
झूला झूलो नभ छू आओ।
ये मेरी दादी का गाँव-2
मधुर कूक ये कोयल की,
मन पुलकित कर जाती है।
दूर-दूर फैली हरियाली,
तन शीतल कर जाती है।
ये मेरी दादी का गाँव-2
कल-कल करती ये निर्झरिणी,
मुझको ये सिखलाती है।
आगे बढ़ना कभी ना रुकना,
बढ़ना ही जिंदगानी है।
ये मेरी दादी का गाँव-2
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
Comments
Post a Comment