निःशब्दता
निःशब्दता ....तू आज निःशब्द क्यों है......?
आज फिर तेरा अस्तित्व उजागर हुआ है...
तो क्या....!
ऐसा अवसर तुझे यदा-कदा ही तो मिलता है....
और जब मिलता है ....
तो ऐसा तभी होता है...
जब कोई अपने कौशल से तेरे अंतर शब्दकोश को चुनौती देता है....
निःशब्दता तू अतुलित है,
अनुपम है तू...
तू श्रेष्ठता की स्वीकार्यता है....
और पर्याय है उस विचरण का....
जब उपयुक्त प्रशंसा शब्द की खोज में.....
सम्पूर्ण शब्दकोश की यात्रा तुझमें समा जाती है....
निःशब्दता.....!
तू एकाकी नहीं.... भंडार है।
अलंकरणों का समाहार है....।
अतुलनीय प्रशंसा है तू...
सबसे बड़ा पुरस्कार है....!!
रचयिता
दीपक कौशिक,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भीकनपुर बघा,
विकास खण्ड-कुंदरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
आज फिर तेरा अस्तित्व उजागर हुआ है...
तो क्या....!
ऐसा अवसर तुझे यदा-कदा ही तो मिलता है....
और जब मिलता है ....
तो ऐसा तभी होता है...
जब कोई अपने कौशल से तेरे अंतर शब्दकोश को चुनौती देता है....
निःशब्दता तू अतुलित है,
अनुपम है तू...
तू श्रेष्ठता की स्वीकार्यता है....
और पर्याय है उस विचरण का....
जब उपयुक्त प्रशंसा शब्द की खोज में.....
सम्पूर्ण शब्दकोश की यात्रा तुझमें समा जाती है....
निःशब्दता.....!
तू एकाकी नहीं.... भंडार है।
अलंकरणों का समाहार है....।
अतुलनीय प्रशंसा है तू...
सबसे बड़ा पुरस्कार है....!!
रचयिता
दीपक कौशिक,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भीकनपुर बघा,
विकास खण्ड-कुंदरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
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