एक थी वीरांगना
वाराणसी की पवित्र भूमि पर
एक वीरांगना ने जन्म लिया।
19 नवम्बर 1828 को
इस धरती को पावन किया।।
मोरोपंत और भागीरथी की
मणिकर्णिका दुलारी थी।
झाँसी के वीर राजा
गंगाधर की प्यारी थी।।
शास्त्रों और शस्त्रों की ज्ञानी
वीर भारतीय नारी थी।
गोरों की राज्य हड़प नीति पर
माँ की ममता भारी थी।।
चंचल मनु, छबीली थी वो
पर अंग्रेजों पर भारी थी।
1857 की क्रांति की
जोरदार चिंगारी थी।।
रक्षा कर स्वाभिमान की
अंग्रेजों को ललकारी थी।
सिंह वाहिनी दुर्गा थी वो
न वो अबला नारी थी।।
रणभूमि में जल उठी ज्वाला सी
वह मराठा रानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।।
गोरों को झकझोर दिया
यह बात नहीं पुरानी थी।
चिंगारी वह क्रांति की
जिसे ज्वाला नयी जगानी थी।।
इन्दिरा, मनु, प्रतिभा जैसी
भारत की हर एक नारी है।
हिन्दुस्तान की नारी शक्ति
पूरे विश्व पर भारी है।।
रचयिता
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।
एक वीरांगना ने जन्म लिया।
19 नवम्बर 1828 को
इस धरती को पावन किया।।
मोरोपंत और भागीरथी की
मणिकर्णिका दुलारी थी।
झाँसी के वीर राजा
गंगाधर की प्यारी थी।।
शास्त्रों और शस्त्रों की ज्ञानी
वीर भारतीय नारी थी।
गोरों की राज्य हड़प नीति पर
माँ की ममता भारी थी।।
चंचल मनु, छबीली थी वो
पर अंग्रेजों पर भारी थी।
1857 की क्रांति की
जोरदार चिंगारी थी।।
रक्षा कर स्वाभिमान की
अंग्रेजों को ललकारी थी।
सिंह वाहिनी दुर्गा थी वो
न वो अबला नारी थी।।
रणभूमि में जल उठी ज्वाला सी
वह मराठा रानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।।
गोरों को झकझोर दिया
यह बात नहीं पुरानी थी।
चिंगारी वह क्रांति की
जिसे ज्वाला नयी जगानी थी।।
इन्दिरा, मनु, प्रतिभा जैसी
भारत की हर एक नारी है।
हिन्दुस्तान की नारी शक्ति
पूरे विश्व पर भारी है।।
रचयिता
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।
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