झाँसी की रानी

एक रानी महान हुई जग में
नाम था लक्ष्मीबाई
बचपन में  थी मणिकर्णिका
प्रेम से मनु वो कहलायी

ज्ञानी थी वो शास्त्रों में और
शस्त्रों की भी थी महारथी
छोड़ के गुड़िया माटी की
उसने तलवार सँभाली थी

खूब लड़ी थी रण मे वो
झाँसी वाली रानी थी
रोक ना पायी विपदा कोई
ऐसी अडिग अमिट मतवाली थी

तनिक नहीं भयभीत हुई
वो अंग्रेजों की धमकी से
बाँध के पुत्र कमर पर उसने
 गूँज उठा दी रणभेरी से

भारत की वीरांगना थी वो
झाँसी का अभिमान थी
लड़ते-लड़ते जान गँवा दी
खातिर अपने स्वाभिमान की

आज जरुरत है फिर से
ऐसी ही हर बेटी हो
झुके कभी ना दुश्मन से
हर लड़की झाँसी की रानी हो।।

रचयिता
अनु चौधरी,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय शंकरपुर,
विकास खण्ड-फरीदपुर,
जनपद-बरेली।

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