मैली चादर
उसे लगता है कि वो समाज में अकेली है।
हो भी क्यों न क्योंकि यहाँ हर चादर तो मैली है।।
1) दो दिन की वो अभी हुई है
कचरे में पड़ी वो मैली है।
कैसे लाज बचाये अब वो
यहाँ तूफानों की रैली है।।
2) चंद पलों में फ़ज़र हुई है
ये दिवा सुहानी पहली है।
लावारिस और यतीम कहने की
ये ज़द लोगों ने ले ली है।।
3) अब वो सोचती है-
कैसे लाज बचाऊँ अब मैं
यहाँ नियत बहुत ज़हरीली है।
टुकड़े नोच-नोचकर खाना
इन इंसानों की शैली है।।
4) आँकड़ों में नहीं गिरावट
बड़ी सोच आवश्यकता पहली है।
वरना हर बेटी बोलेगी
यहाँ हर चादर तो मैली है।।
5) बेटे की चाहत में तुमने
ये मुट्ठी जो खोली है।
इक बार तो सुनकर देखो साहब
बेटी की किलकारी बहुत सुरीली है।।
6) पश्चाताप जो तुमको हो तो
आयुषी सी प्रतिज्ञा लेनी है।
बाजारू न कहना इनको
अब बेटी ही आवश्यकता पहली है।।
रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
हो भी क्यों न क्योंकि यहाँ हर चादर तो मैली है।।
1) दो दिन की वो अभी हुई है
कचरे में पड़ी वो मैली है।
कैसे लाज बचाये अब वो
यहाँ तूफानों की रैली है।।
2) चंद पलों में फ़ज़र हुई है
ये दिवा सुहानी पहली है।
लावारिस और यतीम कहने की
ये ज़द लोगों ने ले ली है।।
3) अब वो सोचती है-
कैसे लाज बचाऊँ अब मैं
यहाँ नियत बहुत ज़हरीली है।
टुकड़े नोच-नोचकर खाना
इन इंसानों की शैली है।।
4) आँकड़ों में नहीं गिरावट
बड़ी सोच आवश्यकता पहली है।
वरना हर बेटी बोलेगी
यहाँ हर चादर तो मैली है।।
5) बेटे की चाहत में तुमने
ये मुट्ठी जो खोली है।
इक बार तो सुनकर देखो साहब
बेटी की किलकारी बहुत सुरीली है।।
6) पश्चाताप जो तुमको हो तो
आयुषी सी प्रतिज्ञा लेनी है।
बाजारू न कहना इनको
अब बेटी ही आवश्यकता पहली है।।
रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।
Nice poem
ReplyDeleteThanku
DeleteThanku mam
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