चलिए स्वतंत्र हो जाएँ

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, आज दिलों के मैल से,
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, सियासतों के खेल से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, दिखावे की इस होड़ से,
 चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, हम पैसे की इस दौड़ से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, हम आज भ्रष्टाचार से,
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, घूसखोरों की मार से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, आस पास की गंदगी से,
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, इस बीमारियों की ज़िंदगी से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, हम आज अपने स्वार्थ से,
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, हम चापलूसों के साथ से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, आज आतंकवाद से,
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, झूठ के इस स्वाद से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, खुद अपनी गुलामी से,
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, हम अपनी नाकामी से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, नाकामी के बहानों से,
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ, आलोचकों के तानों से।

चलिए स्वतंत्र हो जाएँ....
चलिए स्वतंत्र हो जाएँ....
         
रचयिता
इंदु गुर्जर,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय बरौला,
ब्लॉक- बिसरख,
जिला- गौतमबुद्धनगर।

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