सीख जाऊँगी

"कौन है दोषी कौन है शापित मेरी इस दुर्दशा का,
मेरे साथ हो रहा ऐसा क्या कोई पाप पूर्वजन्म का।
मैंने तो आँख थी खोली दुनिया में सबकी तरह,
तो ये हाल क्यों मेरा खुदा भी क्यों बेपरवाह।

जन्म पर मेरी माँ ने खुशी से मुझे चूमा था,
फिर मुकद्दर का पहिया ये कैसा घूमा है।
जो जाते हैं स्कूल वो करते है क्या ऐसा,
मैं रोटी के लिए भटक रही मैंने किया क्या ऐसा।

मुझे आता है अपने हुनर को आजमाना,
मुझे दे दो मौका मैं भी पढ़ना सीख जाऊँगी।
मुझे आता है अपने पंखों को फड़फड़ाना,
तुम दाना तो दो मैं भी उड़ना सीख जाऊँगी।।"

रचयिता
अभिषेक शुक्ला,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय लदपुरा,
विकास क्षेत्र-अमरिया,
जिला-पीलीभीत।
मो.न.9450375290

डिस्क्लेमर:- यह चित्र मेरे मित्र द्वारा फेसबुक डाला गया था जिसे देखकर मैने ये कविता लिखी।प्रकाशित करने की कृपा करे।🙏🙏🙏


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