लो आ गया मानसून
लो आ गया मानसून
हो गयीं मनोकामनाएँ पूर्ण
बच्चे छम-छम नाचे खूब
संग में बजाई तालियाँ खूब
विद्यालय परिसर में फैली गूँज
लो आ गया मानसून।
चहके बच्चे, चहकी चिड़ियाँ
महक उठी सब गलियाँ-गलियाँ
कलियों ने फिर ली अंगड़ाई
पत्तों ने फिर सरगम गाई
बच्चों ने फिर छेड़ा राग
आओ मिल सब नाचें आज।
शिक्षकों ने फिर आवाज़ लगाई
आओ बच्चों जल्दी आओ
मानसून को फिर बुलाएँ
हम सब मिल चलो पेड़ लगाएँ
पर्यावरण का रखें ध्यान
तभी बनेगा देश महान।
रचयिता
वंदना प्रसाद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कैली,
विकास खण्ड-चहनियां,
जनपद-चंदौली(उत्तर प्रदेश )
हो गयीं मनोकामनाएँ पूर्ण
बच्चे छम-छम नाचे खूब
संग में बजाई तालियाँ खूब
विद्यालय परिसर में फैली गूँज
लो आ गया मानसून।
चहके बच्चे, चहकी चिड़ियाँ
महक उठी सब गलियाँ-गलियाँ
कलियों ने फिर ली अंगड़ाई
पत्तों ने फिर सरगम गाई
बच्चों ने फिर छेड़ा राग
आओ मिल सब नाचें आज।
शिक्षकों ने फिर आवाज़ लगाई
आओ बच्चों जल्दी आओ
मानसून को फिर बुलाएँ
हम सब मिल चलो पेड़ लगाएँ
पर्यावरण का रखें ध्यान
तभी बनेगा देश महान।
रचयिता
वंदना प्रसाद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कैली,
विकास खण्ड-चहनियां,
जनपद-चंदौली(उत्तर प्रदेश )
बहोत खूब, साहित्यिक प्रतिभा की बहुत धनी हैं आप । God Bless You
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए धन्यवाद सर
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