रक्षा बंधन
श्रावण मास पूर्णिमा आया।
खुशियों संग नयापन छाया।।
खुश है आज देश का भाई ।
बहना ने जो भरी कलाई।।
बहना का भी है यही कहना।
खुशकिस्मत होती वो बहना।।
खुशियों संग नयापन छाया।।
खुश है आज देश का भाई ।
बहना ने जो भरी कलाई।।
बहना का भी है यही कहना।
खुशकिस्मत होती वो बहना।।
जिस पर है भाई का हाथ।
दुःख में भी देता जो साथ।।
आओ बहना संकल्प उठायें।
प्रकृति, पेड़ों को भाई बनायें।।
जिनसे बनता जीवन दीर्घायु।
जिससे मिलता हमे प्राण वायु।।
दुःख में भी देता जो साथ।।
आओ बहना संकल्प उठायें।
प्रकृति, पेड़ों को भाई बनायें।।
जिनसे बनता जीवन दीर्घायु।
जिससे मिलता हमे प्राण वायु।।
उनको अपना रक्षक माने।
उन्हें भाई सदृश हम जाने।।
सरहद पे खड़े जवान सभी।
हैं खेत में डटे किसान सभी।।
जो सबकी रक्षा करते हैं।
जो सबका पेट भी भरते हैं।।
उन्हें भाई सदृश हम जाने।।
सरहद पे खड़े जवान सभी।
हैं खेत में डटे किसान सभी।।
जो सबकी रक्षा करते हैं।
जो सबका पेट भी भरते हैं।।
अरुण वो ऐसे सच्चे भाई हैं।
जिनसे ही खुशियाँ छायी हैं।।
जो अपना धर्म निभाते हैं।
जो जान भी अपना लुटाते हैं।।
खुशियों का आँगन भरना है।
मत मारो जो कोख में बहना है।।
जिनसे ही खुशियाँ छायी हैं।।
जो अपना धर्म निभाते हैं।
जो जान भी अपना लुटाते हैं।।
खुशियों का आँगन भरना है।
मत मारो जो कोख में बहना है।।
जीवन में वो पल न आये।
बिन बहना के हम रह जायें।।
अनमोल प्यार है भाई बहन।
इससे बढ़कर नहीं कोई धन।।
जिस घर को बहना छोड़ चली।
सूनी हो गयी अब घर की गली।।
बिन बहना के हम रह जायें।।
अनमोल प्यार है भाई बहन।
इससे बढ़कर नहीं कोई धन।।
जिस घर को बहना छोड़ चली।
सूनी हो गयी अब घर की गली।।
दिल क्यों घबरा सा जाता है।
वो पल जब याद दिलाता है।।
कभी वो हँसती मैं रोता था।
कभी हँसना साथ में होता था।।
कभी मैं हँसता वो रोती थी।
दुःख में भी खुशियाँ बोती थी।।
वो पल जब याद दिलाता है।।
कभी वो हँसती मैं रोता था।
कभी हँसना साथ में होता था।।
कभी मैं हँसता वो रोती थी।
दुःख में भी खुशियाँ बोती थी।।
लगता संसार अधूरा, बिन बहना के।
सपना होगा नहीं पूरा, बिन बहना के।।
किससे होगी लड़ाई, बिन बहना के।
सूनी अब पड़ी कलाई, बिन बहना के।।
कहने को बचा क्या भाई, बिन बहना के।
है आँख मेरी भर आयी, बिन बहना के।।
सपना होगा नहीं पूरा, बिन बहना के।।
किससे होगी लड़ाई, बिन बहना के।
सूनी अब पड़ी कलाई, बिन बहना के।।
कहने को बचा क्या भाई, बिन बहना के।
है आँख मेरी भर आयी, बिन बहना के।।
अरुण कुमार यादव,
उच्च प्राथमिक विद्यालय बरसठी,,
विकास क्षेत्र-बरसठी,
जनपद-जौनपुर।
Mob--9598444853
Comments
Post a Comment