रक्षाबंधन

कविता
रक्षाबंधन लेकर आया,
भाई बहन का प्यार।
एक सूत्र से रिश्ते बँधते,
पुलकित हृदय अपार।

बहन लगाये मंगल टीका,
अक्षत  रोली  चन्दन।
वचन लिए रक्षा का,
बाँधे धागे से  संसार।

लगे दुआएँ भाई  को,
हम बहनों की हर दम।
रहे फूलता फलता सदा,
उनका खुशियों से घर बार।

रंग बिरंगे धागों में लिपटा,
 प्यार सदा अटूट रहे।
रक्षा का कवच माँगती,
बहना अब तो बारम्बार।

केशव सा भाई बनकर,
अस्मत रखना बहनों की।
चीरहरण न किसी बहन का,
होवे  अब सरे बज़ार।

गजल
रक्षाबंधन  पर्व  है,  त्यौहारों  में  खास,
रक्षा का भाई दिए, बहना को विश्वास।

कच्चे धागे  से  जुड़े, मन के जोड़ अटूट,
करें शिकायत दूर सब,नेह भरा अहसास।

एक पुरानी  मान्यता, बने कृष्ण  कर्णधार,
बहना भाई  से करे, इज्जत  की अरदास।

बहना तिलक लगा  रही, अक्षत रोली  भाल,
कभी पराजित  हो नहीं,  कभी न टूटे आस।

रेशम  की  बस डोर है, लेकिन  नेह अनन्त,
पीहर  में  भर  ला  रही, राखी  का उल्लास।

रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।

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