जन नायक अटल जी
पता नहीं तुमसे क्या रिश्ता था मेरा,
मै क्यूँ इतना बेचैन हूँ।
बह रहे आँखों से आँसू,
और मैं निःशब्द हूँ।
अजातशत्रु युगपुरुष,
प्रेरणा स्रोत जननायक,
तेरे हैं नाम अनेक,
उमड़ रही है जन-जन में भावों की नदियाँ।
और सब खामोश हैं।
मै निःशब्द हूँ।
तुम कूटनीति और राजनीति के,
भीष्म पितामह कहे जाते,
परमाणु युग, विज्ञान युग के,
नवनिर्माता कहे जाते,
भारत के भाग्य विधाता,
तुम क्यूँ ऐसे खामोश हो।
और मै निःशब्द हूँ।
महाकवि मधुरभाषी,
कोमल छवि तुम्हारी है,
स्पष्टवादी सत्यवादी,
निष्पक्ष छवि तुम्हारी है।
हे भारत रत्न जननायक,
तुम हम सबसे क्यों रुठ गये,
ओजस्वी तेरी वाणी खामोश हैं,
और मै निःशब्द हूँ,
और मै निःशब्द हूँ।
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
मै क्यूँ इतना बेचैन हूँ।
बह रहे आँखों से आँसू,
और मैं निःशब्द हूँ।
अजातशत्रु युगपुरुष,
प्रेरणा स्रोत जननायक,
तेरे हैं नाम अनेक,
उमड़ रही है जन-जन में भावों की नदियाँ।
और सब खामोश हैं।
मै निःशब्द हूँ।
तुम कूटनीति और राजनीति के,
भीष्म पितामह कहे जाते,
परमाणु युग, विज्ञान युग के,
नवनिर्माता कहे जाते,
भारत के भाग्य विधाता,
तुम क्यूँ ऐसे खामोश हो।
और मै निःशब्द हूँ।
महाकवि मधुरभाषी,
कोमल छवि तुम्हारी है,
स्पष्टवादी सत्यवादी,
निष्पक्ष छवि तुम्हारी है।
हे भारत रत्न जननायक,
तुम हम सबसे क्यों रुठ गये,
ओजस्वी तेरी वाणी खामोश हैं,
और मै निःशब्द हूँ,
और मै निःशब्द हूँ।
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
शत शत नमन
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