एक चेहरे में कई चेहरे

एक चेहरे में कई चेहरे
साफ-साफ नजर आते हैं
जब माँ के साथ होती हूँ तो
माँ की ममता नजर आती है
जब पिता के साथ होती हूँ तो
मेरा फर्ज नजर आता है
जब पति के साथ होती हूँ तो
मेरा समर्पण नजर आता है
जब बच्चो के साथ होती हूँ तो
मेरा त्याग नजर आता है
जब मालिक के साथ होती हूँ तो
मेरी निम्नता नजर आती है
जब नौकर के साथ होती हूँ तो
मेरी उच्चता नजर आती है
जब समाज में होती हूँ तो
मेरा व्यवहार नजर आता है
जब अकेली होती हूँ तो
बस तनाव ही तनाव नजर आता है!
                               
रचयिता
अजंली मौर्य 'अनू',
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनस्तली,
विकास खण्ड-लखीमपुर,
जनपद-लखीमपुर।

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