सावन

सावन की रिमझिम फुहार
जब वसुधा को भिगोती है
तब किसान का पवित्र मन
पुष्पों की भाँति महकता है।
लहलहाते फसल उनकी आँखों मे चमकते हैं,
और अन्नदाता का मन पायल सा झंकृत होता है।।
जब जब सावन आता है
भक्ति का रंग वो लाता है
प्रकृति, मनुष्य विह्वल होकर शिव के दर्शन पाते हैं,
नभ, अवनी चहुँओर दिशा में
भक्ति का गुलाल उड़ाते हैं।
जब जब सावन आता है।
अन्तःस्थल को भिगोता है।।
जब जब सावन आता है।
कई रंग अपने साथ वो लेकर आता है।।
प्रकृति अपनी सुंदरता से सबको मोहित कर देती है
बादल, वर्षा और तरु सब अपने रंग बिखेरते हैं।
जब जब सावन आता है
कई रंग साथ वो लाता है।।

रचयिता
पीयूष चन्द्र श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सराय कासिम,
शिक्षा क्षेत्र-सैदपुर,
जनपद-ग़ाज़ीपुर।

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