महिला सशक्तीकरण विशेषांक-145,प्रियंशा मौर्य गाज़ीपुर

*👩‍👩‍👧‍👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक-145*
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*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
(दिनाँक- 31जुलाई 2019)
नाम - प्रियंशा मौर्य
पद-सहायक अध्यापक
विद्यालय-प्राथमिक विद्यालय चिलार
क्षेत्र देवकली ,गाजीपुर

*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
👉बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़ने का सुअवसर मुझे 23 जून  2015 में प्राप्त हुआ है। वर्तमान विद्यालय में 21 मार्च 2016 को मेरी नियुक्ति हुई, जिसमें मैं तब से सकारात्मक प्रयासरत हूॅ। जब मेरी इस विद्यालय में नियुक्ति हुई तो एकमात्र सहायक अध्यापक थे। परंतु एक ही प्रांगण में उच्च प्राथमिक विद्यालय का होना मेरा सौभाग्य ही है ।बच्चों की संख्या नामांकन के अनुरूप ही थी ,परंतु बच्चों में अनुशासन की कमी थी बच्चों का ससमय विद्यालय व पूर्ण गणवेश में न आना भी चुनौतीपूर्ण था ,तो सर्व प्रथम प्रयास बच्चों की स्वच्छता , पूर्ण गणवेश,समय से विद्यालय में आने की आदत को विकसित करना था। धीरे धीरे बच्चे अनुशासन व वातावरण के अनुकूल हो चुके थे।साथ ही बच्चों में कक्षा के अनुसार उनके शिक्षा के स्तर को बनाए रखना भी अहम था,मेरा पूरा ध्यान बच्चों के ज्ञान को केवल किताबी स्तर तक ना रख कर के व्यवहार में भी लाना रहा है।
मेरे द्वारा किए गए कुछ प्रयास..
▶ प्रार्थना सभा , व्यायाम,P.T., समसामयिक घटनाचक्र से अवगत कराना।
▶ बच्चों में विषय के प्रति रोचकता बनी रहे व शीघ्र आत्मसात कर सकें ,इसके लिए स्वरचित कविता  व कहानी बना कर  लय- बद्ध तरीका अपनाया।
▶ राष्ट्रीय पर्व व विभिन्न दिवस को  विद्यालय में मनाना।
▶बच्चों द्वारा TLM बनवाना।अब बच्चों में स्वंय बनाने की होड़-सी है।
▶ बच्चे रंगोली के माध्यम से विभिन्न अवसरों पर अपनी कलात्मकता को व्यक्त करते हैैं।
▶विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों  में बच्चों का बढ़ -चढ़ के प्रतिभाग करना।
▶ ITC तकनीक में बच्चों द्वारा क्राफ्ट,रोल प्ले,क्वीज को अपनाया।
▶बाल संसद का गठन, जिससे बच्चों में अपनी जिम्मेदारी की क्षमता का विकास हुआ।
▶बच्चों में प्रकृति व प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की भावना का विकास।
▶खेल के प्रति रूझान बढ़ाना,ताकि बच्चों में शारीरिक, मानसिक व टीम भावना का विकास हो सके।
▶हमारे बच्चों का प्राथमिक से उच्च प्राथमिक के बाद भी शिक्षा की निरंतरता बनी रहे, इसके लिए हमारे पूरे स्टाफ द्वारा हर संभव प्रयास व आर्थिक सहयोग होना।
▶विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कर बच्चों को पुरस्कृत करना।
▶आज के समय में हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय  है।
▶मेरे व मेरे सहयोगी शिक्षकों द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास व मूल्यपरक शिक्षा ही सर्वोपरि कर्म है।
भले ही मेरे प्रयास व कदम छोटे हैं, पर कर्त्तव्य पथ पर, मैं निरन्तर आगे बढूं बस यही चाह सदा है।

*पसीने की स्याही से जो ,*
*लिखते हैं अपने इरादों को।*
*उनके मुकद्दर के पन्ने कभी*
*कोरे नहीं हुआ करते।*

_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*

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