हमको पढ़ने जाना है
ज्ञान का दीप जलाना है,
हमको पढ़ने जाना है।
बस्ता कलम किताबें लेकर,
सुबह सबेरे अच्छे बनकर।
सही समय पर चलना है,
जाकर फिर तो पढ़ना है।
किस्मत खुद लिख जाना है,
पढ़ने लिखने अब जाना है।
प्यारी न्यारी है मेरी कक्षा,
सब कुछ है अच्छा अच्छा।
दीदी जी नित पाठ पढ़ाएँ,
अच्छे से सब हमें सिखाएँ।
अब करना नहीं बहाना है,
नित नित मन से जाना है।
सब कुछ दे सरकार हमारी,
मिलती हमको सुविधा सारी।
भोजन फल दूध है मिलता,
यूनिफॉर्म और जूता बस्ता।
यह सबको हमें बताना है,
शिक्षा ज्योति जलाना है।
घर घर शिक्षा दीप जलेगा,
नया सबेरा एक खिलेगा।
भाई बहन सब पढ़ते हैं,
मिलजुल कर हम रहते हैं।
शिक्षित बन दिखलाना है,
विकसित देश बनाना है।
शिक्षा का अधिकार मिला,
खुशियों का उपहार मिला।
प्रतिभा फूल खिलाने आओ,
जीवन स्वप्न सजाने आओ।
विकसित पथ पर जाना है,
शिक्षित होकर दिखलाना है।
ज्ञान का दीप जलाना है,
हमको पढ़ने जाना है।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
हमको पढ़ने जाना है।
बस्ता कलम किताबें लेकर,
सुबह सबेरे अच्छे बनकर।
सही समय पर चलना है,
जाकर फिर तो पढ़ना है।
किस्मत खुद लिख जाना है,
पढ़ने लिखने अब जाना है।
प्यारी न्यारी है मेरी कक्षा,
सब कुछ है अच्छा अच्छा।
दीदी जी नित पाठ पढ़ाएँ,
अच्छे से सब हमें सिखाएँ।
अब करना नहीं बहाना है,
नित नित मन से जाना है।
सब कुछ दे सरकार हमारी,
मिलती हमको सुविधा सारी।
भोजन फल दूध है मिलता,
यूनिफॉर्म और जूता बस्ता।
यह सबको हमें बताना है,
शिक्षा ज्योति जलाना है।
घर घर शिक्षा दीप जलेगा,
नया सबेरा एक खिलेगा।
भाई बहन सब पढ़ते हैं,
मिलजुल कर हम रहते हैं।
शिक्षित बन दिखलाना है,
विकसित देश बनाना है।
शिक्षा का अधिकार मिला,
खुशियों का उपहार मिला।
प्रतिभा फूल खिलाने आओ,
जीवन स्वप्न सजाने आओ।
विकसित पथ पर जाना है,
शिक्षित होकर दिखलाना है।
ज्ञान का दीप जलाना है,
हमको पढ़ने जाना है।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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