वाह रमैय्या, मेरे भैय्या
वाह रमैय्या, मेरे भैय्या
कलरव,
कक्षा-5
वाह रमैय्या, मेरे भैय्या,
पर्यावरण बचैय्या।।
हरी-भरी हो सारी धरती,
सुखमय जीवन करती।
पीपल, नीम, अशोक लगाओ,
बरगद, अँवली, ढाक लगाओ।
वृक्ष महात्म्य बतैय्या,
है उनका नाम रमैय्या।
घर-घर जाते दूध दुहाते,
फिर लिए शहर को जाते।
रोजी-रोटी काम चलाते,
पौधे संग वहाँ से लाते।
फिर बाँटे पौध रमैय्या,
लो पेड़ लगाओ भैय्या।
सूनी धरती हरित बनाओ,
जन जीवन सुखी बनाओ।
शुद्ध वायु को करते रहते,
पर्यावरण बचाते रहते।
भेजे हैं संदेश रमैय्या,
बिरवन के लगवैय्या।
वाह रमैय्या मेरे भैय्या,
हो परि आवरण बचैय्या।
चूँ चूँ करती डाल पे बैठी,
अपनी धुन में सबसे कहती।
छोटी एक चिरैय्या।
वाह रमैय्या, मेरे भैय्या।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
कलरव,
कक्षा-5
वाह रमैय्या, मेरे भैय्या,
पर्यावरण बचैय्या।।
हरी-भरी हो सारी धरती,
सुखमय जीवन करती।
पीपल, नीम, अशोक लगाओ,
बरगद, अँवली, ढाक लगाओ।
वृक्ष महात्म्य बतैय्या,
है उनका नाम रमैय्या।
घर-घर जाते दूध दुहाते,
फिर लिए शहर को जाते।
रोजी-रोटी काम चलाते,
पौधे संग वहाँ से लाते।
फिर बाँटे पौध रमैय्या,
लो पेड़ लगाओ भैय्या।
सूनी धरती हरित बनाओ,
जन जीवन सुखी बनाओ।
शुद्ध वायु को करते रहते,
पर्यावरण बचाते रहते।
भेजे हैं संदेश रमैय्या,
बिरवन के लगवैय्या।
वाह रमैय्या मेरे भैय्या,
हो परि आवरण बचैय्या।
चूँ चूँ करती डाल पे बैठी,
अपनी धुन में सबसे कहती।
छोटी एक चिरैय्या।
वाह रमैय्या, मेरे भैय्या।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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