३४७~ शिप्रा प्राथमिक विद्यालय केवटाही उरुवा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- प्रयागराज से शिक्षिका बहन शिप्रा जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी ममतामयी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का मानवीय केन्द्र बना दिया है जो हम सभी के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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मैं शिप्रा (प्रभारी प्रधानाध्यापिका)
प्राथमिक विद्यालय केवटाही, उरुवा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश से।

विद्यालय में नियुक्ति तिथि: - 27/02/2009

प्रयागराज का अति पिछड़ा क्षेत्र होते हुए तथा सुविधाओं से भी वंचित होते हुए जन समुदाय की सहायता से विद्यालय निरंतर प्रगति की राह पर बढ़ता चल रहा है।

👉 मेरा विद्यालय नितांत शांत हरियाली से लबरेज गांव के मध्य में स्थित है। मेरे आने से पूर्व अभिभावकों का अध्यापकों के साथ उचित तालमेल नहीं था। नामांकन की समस्या बनी हुई थी, बच्चे विद्यालय नियमित नहीं आते थे।बच्चे केवल किताबी ज्ञान से ही जूझ रहे थे। विद्यालय का भौतिक दृश्य नीरस था। विभिन्न जागरूकता अभियान जैसे पर्यावरण सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता आदि से अनभिज्ञ थे। अभिभावकों में भी विद्यालय के प्रति रुचि तथा जिम्मेदारी के भाव की कमी थी।
👉 अगस्त- 2009 में जब मैं इंचार्ज प्रधानाध्यापक बनी तो मेरे लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। अपने विद्यालय की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हुए मैंने ठान लिया कि अपने विद्यालय की तस्वीर बदल दूंगी। धीरे-धीरे ही सही मगर एक दिन लोगों को पता चलेगा कि उरुवा ब्लाक में एक प्राथमिक विद्यालय केवटाही नाम का तारा है।

👉 सर्वप्रथम मैंने घर-घर जाकर बच्चों की माताओं से बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने तथा नामांकन कराने का आग्रह किया।विद्यालय की भौतिक स्थिति को सुंदर बनाया। विभिन्न प्रकार के फूलों से तथा दीवारों पर नए रंग भरवाकर विद्यालय को आकर्षित बनाया।अभिभावकों से संपर्क कर बालिका शिक्षा, स्कूल चलो अभियान रैली, पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के उद्देश्य को समझाया। विद्यालय के प्रति उनके कर्तव्य तथा अधिकारों का बोध कराया व बच्चों में खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता लाने हेतु प्रतिदिन विद्यालय में खेलकूद तथा विभिन्न शिक्षाप्रद नाटकों का मंचन छात्रों द्वारा कराया। बच्चों को स्वयं करके सीखने के प्रति जागरूक किया तथा गरीब बच्चों को स्टेशनरी दिलाया।




👉 विगत कई वर्षों से विद्यालय में रैंप नहीं था। विद्यालय की लगभग पूरी खिड़कियां टूट चुकी थी। दीवारें भी कहीं-कहीं से टूटे थे। बरामदे में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी। जिसके कारण विद्यालय बंद होने पर गाँव के ही कुछ लोग अपने मवेशी यहाँ बाँध देते थे। जिसके कारण हमें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इससे निपटारा पाने के लिए सर्वप्रथम मैंने अपनी सैलरी से ₹12000 देकर बरामदे में लोहे की जाली लगवाई।

👉 गांव के ही कुछ व्यक्ति के सहयोग से बालू प्राप्त किया तथा सीमेंट लाकर विद्यालय की दीवार तथा फर्श की मरम्मत कराई। नई खिड़कियों के लिए प्रधान जी से आग्रह किया।
👉 विद्यालय की जाली को आकर्षित रंगों से स्वयं रंग किया। रैंप का निर्माण कराया ताकि छोटे बच्चों तथा अभिभावकों को विद्यालय आने में कठिनाई न हो सके।
👉 विद्यालय के विकास में मेरे गांव के ग्राम प्रधान श्री जमुना प्रसाद जी ने भी सहयोग किया। वह विद्यालय के उत्थान में सहायता करने हेतु सदा तत्पर रहने वाले व्यक्ति हैं। विद्यालय की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने खिड़कियां लगवाई तथा मरम्मत का कार्य करवाने में मेरा सहयोग किया।जिसके कारण विद्यालय सुरक्षित है।
👉 छात्र संख्या वार्षिक उपस्थिति का प्रतिशत तथा नामांकन उपस्थिति बढ़ाने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी व जिला बेसिक शिक्षाअधिकारी प्रयागराज के निर्देशानुसार मैंने 2 अप्रैल से 30 अप्रैल तक प्रतिदिन स्कूल चलो अभियान रैली निकाली तथा घर-घर जाकर छात्र नामांकन किया। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने हेतु मैंने सर्वप्रथम बच्चों की माताओं से संपर्क किया तथा उन्हें विद्यालय में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर चर्चा एवं उनके प्रति जागरूकता लाने हेतु उन्हें प्रेरित किया।
👉 मेरा मानना है कि बच्चे की पहली शिक्षिका माँ होती है और बच्चे समय-समय पर आयोजित होने वाले पीटीए, एमटीए, माँ समूह तथा विद्यालय प्रबंध समिति की बैठकों में अपने अभिभावकों को देखकर विद्यालय के प्रति और आकर्षित होंगे।

👉 मैंने अपने विद्यालय में बाल संसद तथा बाल निगरानी समिति का गठन किया। जिससे बच्चों में विद्यालय के प्रति रुचि बढ़े वे जिम्मेदार बने तथा विद्यालय आने के लिए तत्पर रहें। विभिन्न सामाजिक मुद्दों तथा शिक्षाप्रद नाटकों को मैं बच्चों को सिखा कर उनके अभिभावकों के समक्ष मंचन कराती जिससे समाज था बच्चे दोनों में जागरूकता आए।
👉 मेरे विद्यालय की कक्षा 5 की एक बालिका शिवानी जो विगत कई सालों से किसी ऐसे रोग से ग्रस्त थी। जिसमें वह न ही ठीक से चल सकती थी और न ही लिख सकती थी।उसका शरीर हमेशा कांपता रहता था। क्योंकि उसके पिता मजदूरी करते थे। खानपान की व्यवस्था अच्छी नहीं थी। मैं जब उसके घर गई तो उसने एक ही वाक्य बोला- मैम जी मुझे स्कूल जाना है, पर मैं चलती हूँ तो थोड़ी देर में गिर जाती हूँ। मेरा शरीर कांपता है। मुझे उसकी यह बात सुनकर दुख तो हुआ पर उससे भी ज्यादा खुशी हुई। मैंने ठान लिया की स्कूल तक पहुँचने के लिए मैं तुम्हारी किसी भी कमजोरी का बाधा नहीं बनने दूंगी। मैंने उसे गोद में उठाया और विद्यालय ले आई। वह बहुत खुश थी मगर मैं नहीं। मुझे उसकी इस कमजोरी को दूर करना था। मैंने घर आकर उसकी समस्या का कारण पता किया और मुझे कारण पता भी चला। मैं शिवानी के घर की स्थिति जानती थी। दूसरे दिन मैंने हरी सब्जी अनार और कुछ मेवे लिया और रोज की तरह शिवानी को गोद में लेकर चल पड़ी। अच्छे खानपान और आत्मविश्वास की अलख जगा कर शिवानी आज खुद चलकर विद्यालय आती है विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में खेलकूद में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है।

*ग्रामीण परिवेश में विद्यालय होने के कारण मेरी प्रथम प्राथमिकता बच्चों की माताओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाना। इस उद्देश्य से जागरूक माता समूह का गठन किया। जिससे छात्र नामांकन तथा उपस्थिति में वृद्धि हुई।*

(1.)- विद्यालय में बच्चों में बैंकिंग सेवा सहयोग सहभागिता की भावना जागृत करने हेतु 1अप्रैल-2019 से मैंने अपने विद्यालय में स्कूल बैंक की स्थापना नवाचार के रूप में किया। यह बैंक जरूरतमंद बच्चों को 0% कि दर पर स्टेशनरी मुहैया कराता है। जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों में नेतृत्व, जिम्मेदारी, सहयोग, सहभागिता, स्वावलंबन जैसे मानवीय मूल्यों का विकास करना। बच्चों में सहकारिता, बैंकिंग एवं लेखा रख रखाव जैसे दैनिक जीवन से संबंधित गुणों व कौशलों का विकास करना है।
मेरा विद्यालय जिले का पहला विद्यालय है, जिसने स्कूल बैंक नवाचार का शुभारंभ किया है।


(2.)- विद्यालय में स्कूल बैंक नवाचार के साथ-साथ बाल संसद नवाचार, सामुदायिक सहभागिता, खेल खेल में शिक्षा तथा गतिविधि आधारित शिक्षण प्रणाली नवाचार के रूप में स्थापित किया है।





(3.)- सामुदायिक सहभागिता नवाचार के रूप में लागू कर अभिभावकों को स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण (जैसे रेड टेप मूवमेंट) महिला सशक्तिकरण आदि मुद्दों पर जागृत किया।
(4.)- विद्यालय का कायाकल्प (जैसे खिड़की, लोहे की जालियां, पंखे आदि) का वहन स्वयं किया।
(5.)- पहली बार अपने विद्यालय को उरुवा ब्लाक का आदर्श मतदान केंद्र बनाया। इन सभी प्रयासों से न केवल छात्र उपस्थिति दर में वृद्धि हुई है। अपितु छात्रों में जीवन कौशल का विकास, नेतृत्व, सहयोग और सहभागीता का भी विकास हुआ है।




📋उपलब्धियां :--
(1.) लगातार 2016-17, 2017-18, 2018-19 में मेरे विद्यालय के छात्रों ने ब्लॉक एवं जिला स्तरीय बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त किए हैं।
सांस्कृतिक, शैक्षिक, सामाजिक कार्यक्रमों में बच्चे बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करते हैं।
(2.)- नवोदय क्रांति परिवार भारत द्वारा विद्यालय के बच्चे मिस्टर व मिस हैंडराइटिंग प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र प्राप्त किए है।
(3.)- 2017 में ZIIEI द्वारा अपने विद्यालय में बाल संसद, सामुदायिक सहभागिता नवाचार लागू करने पर मंडल स्तर पर इलाहाबाद मंडल के मंडलायुक्त महोदय द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित हुई।
(4.)- 2017 में डायट प्रयागराज में आयोजित नवाचार प्रदर्शनी (बाल संसद) में डायट प्राचार्य द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित हुई।
(5.)- 2018 में विद्यालय में उत्कृष्ट कार्य हेतु उप जिलाअधिकारी मेजा द्वारा "उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार" का प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया।
(6.)- 2019 में ZIIEI द्वारा आयोजित जिला स्तरीय नवाचार प्रदर्शनी में संयुक्त शिक्षा निदेशक (बेसिक) द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित हुई।
(7.)- मेरे द्वारा संचालित नवाचार को राज्य स्तरीय पुरस्कार हेतु चयनित किया गया है।
(8.)- पढ़े भारत-बढ़े भारत योजना के अंतर्गत BRT हेतु नियुक्त हुई, जिसमें पाठ योजना आधारित शिक्षण विधि द्वारा शिक्षण कार्य को रुचिकर बनाया।
(9.)- विद्यालय में कार्यरत तीन ग्रामीण रसोइयों को साक्षर बनाया।
(10.)- जून 2019 में "नेशनल टीचर अवार्ड-2019" से सम्मानित।
(11.)- 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर डायट प्रयागराज में आयोजित शिक्षकों के सम्मान समारोह व पुरस्कार वितरण में अपने टी.एल.एम.व नवाचार तथा पेंटिंग के लिए डायट प्राचार्य द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित।










📋मेरा यही संदेश है कि- हमें अपने ऊपर गर्व होना चाहिए कि "हम समाज की नींव बनाते हैं"। बड़ी से बड़ी कठिनाई भी हमारे लक्ष्य को पाने से रोक नहीं सकती। क्योंकि हमारे नौनिहाल हमारी ताकत है।अपने कर्तव्यों पर बस हमें डटे रहना है और चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना है।
हमारा एकमात्र लक्ष्य अपने नौनिहालों को बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक रूप से ताकतवर बनाकर जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देनी है। बदलती शिक्षा प्रणाली कि इस मुश्किल घड़ी में शिक्षक तथा समुदाय के बीच आपसी तालमेल ही बच्चों को कुछ नया सीखने के लिए ही प्रेरित कर सकती है।
*!!"लहरों से डरकर नदियां पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती"!!*

सादर:-
शिप्रा
प्राथमिक विद्यालय केवटाही
उरुवा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

संकलन: आशीष शुक्ला
मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
07-07-2019

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