कारगिल विजय गाथा
शत् - शत् नमन है उन वीर जवानों को
ना भूलेंगे कभी बलिदानों को
हिम की चोटी पर डटे रहे, दुश्मन को मार गिराने को
सीने पर खायी गोलियाँ जो, उन मातृभूमि के दीवानों ने
वो डटे रहे वो अड़े रहे अपना कतरा - कतरा बहाने को
शत् - शत् नमन, करबद्ध नमन भारत के वीर जवानों को।
26 जुलाई वो दिन है जब दुश्मन को मार गिराया था
कारगिल की उस चोटी पर तब तिरंगा लहराया था।
माँओं ने खोए लाल तभी, सिंदूर का था बलिदान तभी,
26 जुलाई का ये विजय दिवस, युगों तक भूलेंगे ना सभी।
माता - पिता की जान थे वो भारत माँ का अभिमान हैं वो
शत् - शत् नमन करबद्ध नमन भारत माँ के वीर जवानों को ।
हिम की चोटी पर डटे रहे, दुश्मन को मार गिराने को
सीने पर खायी गोलियाँ जो, उन मातृभूमि के दीवानों ने
वो डटे रहे वो अड़े रहे अपना कतरा - कतरा बहाने को
शत् - शत् नमन, करबद्ध नमन भारत के वीर जवानों को।
26 जुलाई वो दिन है जब दुश्मन को मार गिराया था
कारगिल की उस चोटी पर तब तिरंगा लहराया था।
माँओं ने खोए लाल तभी, सिंदूर का था बलिदान तभी,
26 जुलाई का ये विजय दिवस, युगों तक भूलेंगे ना सभी।
माता - पिता की जान थे वो भारत माँ का अभिमान हैं वो
शत् - शत् नमन करबद्ध नमन भारत माँ के वीर जवानों को ।
रचयिता
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।
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