बचपन की बारिशें
बचपन की बारिशें बडी़ हो गई अब।
धर्म जाति पाति की भेद और भाव की,
कितनी ही दीवारें खड़ी हो गई अब।।
खिड़की से झाँका, तो बाहर बरसातें थीं,
नाचती बूँदों की जैसे बातें थीं।
भीगने बारिश में मन मेरा मचला था,
हाथ मेरा मेरे अहम ने पकड़ा था,
ईगो मेरी बड़ी नकचढ़ी हो गई अब।
बचपन की बारिशें बड़ी हो गई अब।
बारिश के पानी में लगते छपा के थे,
खेलते बारिश में उसमें नहाते थे,
उसी ही बारिश में कीटाणु दिखते हैं,
बीमार न हो जाएँ भीगने से डरते हैं,
बदनाम सावन की झड़ी हो गई अब।
बचपन की.......
बारिश में निकलने से बेटियाँ डरती हैं,
बंद हो जाने का इंतज़ार करती हैं,
काँच की इज्जत है कहीं टूट जाए ना,
कहीं कोई दामिनी, ट्विंकल लुट जाए ना,
बूँदें माँ के आँसू की लड़ी हो गयीं अब।
बचपन की बारिशें बड़ी हों अब।
रचयिता
पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
धर्म जाति पाति की भेद और भाव की,
कितनी ही दीवारें खड़ी हो गई अब।।
खिड़की से झाँका, तो बाहर बरसातें थीं,
नाचती बूँदों की जैसे बातें थीं।
भीगने बारिश में मन मेरा मचला था,
हाथ मेरा मेरे अहम ने पकड़ा था,
ईगो मेरी बड़ी नकचढ़ी हो गई अब।
बचपन की बारिशें बड़ी हो गई अब।
बारिश के पानी में लगते छपा के थे,
खेलते बारिश में उसमें नहाते थे,
उसी ही बारिश में कीटाणु दिखते हैं,
बीमार न हो जाएँ भीगने से डरते हैं,
बदनाम सावन की झड़ी हो गई अब।
बचपन की.......
बारिश में निकलने से बेटियाँ डरती हैं,
बंद हो जाने का इंतज़ार करती हैं,
काँच की इज्जत है कहीं टूट जाए ना,
कहीं कोई दामिनी, ट्विंकल लुट जाए ना,
बूँदें माँ के आँसू की लड़ी हो गयीं अब।
बचपन की बारिशें बड़ी हों अब।
रचयिता
पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।
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