हम पढ़ने चले

हम पढ़ने चले, हम पढ़ने चले।
बहना चली है और भाई चले।
शिक्षा की नव बेल खिली है,
घर-घर में अब खुशी पली है।
हाथ कलम है तकदीर हमारी,
सुन्दर कल की तस्वीर हमारी।
जीवन की हर बगिया में
कितने प्यारे फूल खिले।
हम पढ़ने चले- - -
माँ के प्यारे हम राज दुलारे,
पापा की आँखों के तारे।
भारत माँ के हैं उजियारे,
सीख रहे हैं मिलकर सारे।
मोती रतन रजत मणि जैसे
चमचम देखो उजले-उजले।
पढ़ने चले हम- -
अक्षर-अक्षर चमक उठेंगे,
उपवन मे हम महक चलेंगे।
ऊँचे-ऊँचे शिखरों पर चढ़कर,
रोशन जग में नाम करेंगे।
प्यारा-प्यारा है स्कूल हमारा,
भावों का सुरभित संसार खिले।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।


Comments

Total Pageviews