आजाद हिंद फौज

आज़ाद हिन्द फ़ौज बनाये रास बिहारी बोस।
40000 हिंदुस्तानी संग किया स्वतन्त्रता का घोष।।

इसकी संरचना गठन में सहयोगी था जापान।
यह थी एक प्रशिक्षित सेना लक्ष्य था एक समान।

सन था उन्नीस सौ बयालीस टोकियो था स्थान।
अलग अलग सेनानायक थे इसके चार कमान।

सर्वोच्च कमाण्डर बन सुभाष ने इसकी संभाली कमान।
एक लक्ष्य था गुलामी से मुक्त हो हिन्दुस्तान।।

ग़ांधी ब्रिगेड, नेहरु ब्रिगेड, सुभाष ब्रिगेड था नाम।
रानी लक्ष्मीबाई बिग्रेड महिला सेना का नाम।।

जून 43 में नेताजी ने टोकियो रेडियो से सन्देश सुनाया।
बिना रक्त के आजादी को भला किसी ने पाया।

अंग्रेजों से करो न आशा आजादी हमको  देंगे।
तुम मुझे दो खून दो हम तुम्हें निश्चित आजादी देंगे।।

5 जुलाई 1943 को सिंगापुर का टाउन हाल स्थान।
'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना की थामी कमान।।

21 अक्टूबर 1943 को बोस ने भारत की अस्थायी सरकार बनायी।
9 देशों ने देके मान्यता नेताजी को दी बधाई।।

जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस सरकार को सौंप  दिये।
नेताजी ने इन द्वीपों को नये-नये नाम दिए।

अंडमान का नया नाम रखा था शहीद द्वीप।
निकोबार को नाम दिया कहो स्वराज्य द्वीप।।

30 दिसम्बर 1943 इन द्वीपों पर भारत का ध्वज फहरा।
4 फ़रवरी 1944 को अंग्रेजों पर किया आक्रमण गहरा।।

और कोहिमा, पलेल प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त कराया।
 रंगून रेडियो से देश के नाम सन्देश पहुँचाया।।

विश्व युद्ध का पासा पलट जर्मनी ने मानी हार।
जापान को घुटने पड़े टेकने अणु बम का हुआ प्रहार।

ऐसे में सुभाष को टोकियो की ओर करना पड़ा पलायन।
कहते है हवाई दुर्घटना में उनका  हुआ निधन।
     
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

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