भगिनी निवेदिता
भगिनी निवेदिता
जन्मदिवस पर विशेष
बेहतर लेखिका, बेहतर शिक्षिका और सामाजिक कार्यकर्ता।
स्वामी विवेकानंद की शिष्या, नाम है भगिनी निवेदिता।।
मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल जन्म 28 अक्टूबर।
सन 18 सौ सरसठ है फिर बनीं निवेदिता सिस्टर।।
जिन विदेशियों पर गर्व हमें है उनमें एक निवेदिता।
देशभक्तों की खुले आम मदद की इनकी एक विशेषता।।
महिला शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान।
गुरु शिष्य की परंपरा की अद्भुत मूर्ति महान।।
भाषण शैली बड़ी प्रभावी, सीधा सरल स्वभाव।
भारतीय संगीत कला संस्कृति से बड़ा लगाव।।
1895 लंदन में स्वामी विवेकानंद से मुलाकात।
गुरु स्नेहार्कषण पाकर उसके मन में बैठी बात।।
25 मार्च 1898 को विवेकानंद से ले ली दीक्षा।
बुद्ध मार्ग की अनुयायी बन क्षेत्र चुना है शिक्षा।।
कुछ समय गुरु के साथ रही फिर भारत भ्रमण किया।
अंतत: बस गयी कलकत्ता भारत ने मोह लिया।।
गुरु प्रेरणा से कलकत्ता में बालिका विद्यालय संचालन।
परमहंस की जीवनसंगिनी माँ शारदा ने किया उदघाटन।।
माँ शारदा ने भगिनी को पुत्रीवत स्नेह दिया।
बालिका शिक्षा के प्रयासों को प्रोत्साहित खूब किया।
क्रांतिकारियों को सहयोग और भरपूर समर्थन।
भारत की आजादी के खातिर इनका रहा समर्पण।।
13 अक्टूबर 1911 को उनका हुआ निधन।
भारत प्रेमी भगिनी निवेदिता को अर्पित श्रद्धा-सुमन।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
जन्मदिवस पर विशेष
बेहतर लेखिका, बेहतर शिक्षिका और सामाजिक कार्यकर्ता।
स्वामी विवेकानंद की शिष्या, नाम है भगिनी निवेदिता।।
मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल जन्म 28 अक्टूबर।
सन 18 सौ सरसठ है फिर बनीं निवेदिता सिस्टर।।
जिन विदेशियों पर गर्व हमें है उनमें एक निवेदिता।
देशभक्तों की खुले आम मदद की इनकी एक विशेषता।।
महिला शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान।
गुरु शिष्य की परंपरा की अद्भुत मूर्ति महान।।
भाषण शैली बड़ी प्रभावी, सीधा सरल स्वभाव।
भारतीय संगीत कला संस्कृति से बड़ा लगाव।।
1895 लंदन में स्वामी विवेकानंद से मुलाकात।
गुरु स्नेहार्कषण पाकर उसके मन में बैठी बात।।
25 मार्च 1898 को विवेकानंद से ले ली दीक्षा।
बुद्ध मार्ग की अनुयायी बन क्षेत्र चुना है शिक्षा।।
कुछ समय गुरु के साथ रही फिर भारत भ्रमण किया।
अंतत: बस गयी कलकत्ता भारत ने मोह लिया।।
गुरु प्रेरणा से कलकत्ता में बालिका विद्यालय संचालन।
परमहंस की जीवनसंगिनी माँ शारदा ने किया उदघाटन।।
माँ शारदा ने भगिनी को पुत्रीवत स्नेह दिया।
बालिका शिक्षा के प्रयासों को प्रोत्साहित खूब किया।
क्रांतिकारियों को सहयोग और भरपूर समर्थन।
भारत की आजादी के खातिर इनका रहा समर्पण।।
13 अक्टूबर 1911 को उनका हुआ निधन।
भारत प्रेमी भगिनी निवेदिता को अर्पित श्रद्धा-सुमन।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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