अब तो जागो

अब तो जागो,
जीवन प्रहरी
हो गया विहान
जगी नगरी
तुम भी जगकर
जीवन पथ पर,
कुछ कदम बढ़ाओ
उन्नति कर।
सुन्दर जग का निर्माण करो।

अब तो जागो,,,,,,
कोई और विकल्प तलाश करो
कोशिश कर नव निर्माण करो
एक नयी शुरुआत करो
तुम आशाओं के ज्योति पुंज
सर्वत्र नवीन प्रकाश भरो
जग में निःस्वार्थ कर्म से तुम
सुन्दरतम सा भाव भरो।

अब तो जागो
कब तक दूजे के खातिर तुम
अपनी आवाज दबाओगे
तुम अंश उसी परमेश्वर के
जो परमपिता कहलाता है
उसकी ही तुम आवाज बनो
जगकर, जग का कल्याण करो
एक नया इतिहास रचो।

अब तो जागो
आज तुम्हारे जीवन का
दिनमान नवीन शुरू होगा
कोई ऐसा दिवास्वप्न देखो
जिस से संसार नवीन गढ़ो
आशा पर जीवन राग टिका
झंकृत हो मन वो धुन तो रचो
तुम एक सशक्त पहल तो करो
अब तो जागो,,,,
अब तो जागो ,,,,

रचयिता
डॉ0 रंजना वर्मा,
प्राथमिक विद्यालय बैलो,
विकास खण्ड-भटहट, 
जनपद-गोरखपुर।

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