स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्वामी दयानन्द सरस्वती
         पुण्यतिथि

12 फरवरी 1824 गुजरात का गाँव टकारा।
मूल नक्षत्र में जन्मा हिन्द का एक सितारा।।

मूल नक्षत्र के कारण इनका नाम पड़ा मूलशंकर।
मेधावी बालक के पिता का नाम था अम्बाशंकर।

बचपन से ही होनहार थे बुद्धि बड़ी विलक्षण।
दो वर्ष की आयु में गायत्री मंत्र का शुद्ध उच्चारण।।

14 साल की आयु में संस्कृत,व्याकरण,वेदों का अध्ययन।
बाल-विवाह के घोर विरोधी किया नारी शिक्षा का समर्थन।

जाति प्रथा ढकोसला, विधवा विवाह को प्रोत्साहन।।
अहिन्दू को भी हिन्दू बनाया चलाया शुद्वि आंदोलन।।

ब्रम्ह समाज की स्थापना सन 1875 स्थापना कर
D.A.V. कॉलेज से शिक्षा को बनाया बेहतर।।

प्रवचनों के माध्यम से दिया राष्ट्रीयता का उपदेश।
भारत है भारतीयों का यह सबको दिया सन्देश।।

इनकी रचनाओं में प्रमुख है ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश।
पाखण्डों का खंडन कर ज्ञान का किया प्रकाश।।

वेदों का ही ज्ञान सत्य है बाकी सब बकवास।
देश भ्रमण कर हिन्दू धर्म में जतलाया विश्वास।

30 अक्टूबर 1883  दीपावली के दिन।
सान्ध्य समय परलोक पधारे उनका हुआ निधन।।

रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

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