२५८~ मोहम्मद आरिफ सिद्दीकी, प्र.अ. प्राथमिक विद्यालय रुरुगंज प्रथम विकास खण्ड - बिधूना, जनपद - औरैया

🌹अनमोल प्रयास🌹

मो० आरिफ सिद्दीकी (प्रअ) प्राथमिक विद्यालय रुरुगंज प्रथम, विख - बिधूना, जनपद - औरैया


👉भौतिक परिवेश
▪यहाँ पहले दिन चाहरदीवारी युक्त मेनगेट पर जलभराव और कीचड़ में गुजरकर विद्यालय में दाखिल हुआ। अति सामान्य स्थिति में विद्यालय भवन मिला। एकमात्र सहायक शिक्षिका, कुल पंजीकृत 102 में से 31 बच्चों के साथ उपस्थित मिलीं। वहाँ स्वस्थ शैक्षिक व भौतिक परिवेश व अनुशासन के पूर्ण अभाव के चलते अभिभावकों का विद्यालय से कोई लगाव नहीं रह गया था। कुछ अभिभावकों ने बच्चों का नामांकन निजी विद्यालय में करा दिया था। विद्यालय में शिक्षक, रसोइया और आंगनबाड़ी के बीच आये दिन झगडे़ हुआ करते थे। जिनका निपटारा आये दिन संकुल प्रभारी और खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जाता था। इन सब बातों को जानकर मन व्यथित हुआ पर दृढ़संकल्प लेकर विद्यालय को यथासंभव कम से कम समय में निजी विद्यालय के समकक्ष लाने हेतु बदलाव की मुहिम में जुट गया।
👉छात्र उपस्थित बढ़ाने हेतु प्रयास:
▪परिवार के भरण पोषण हेतु बच्चों को खेती और घरेलू कामों में लगाये रखने वाले अभिभावकों से लगातार शिक्षा के महत्व पर बात करके अपनी जिम्मेदारी और विश्वास पर बच्चों को विद्यालय भेजने के विशेष अनुरोध करने पर कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों को विद्यालय भेजना प्रारम्भ किया। जिससे छात्र संख्या में कुछ वृद्धि हुई तत्पश्चात सहायक शिक्षिका की सहमति से हम दोनों शिक्षकों ने जिम्मेदारी लेते हुए हर परिस्थिति में स्वअनुशासित होकर नियमित रूप से विद्यालय समय से पहुँचकर प्रार्थना, राष्ट्रगान, योगासन आदि के उपरांत समय से कक्षा संचालन, गतिविधियों के साथ- साथ खेलकूद की शुरुआत की| जिसे देखकर अभिभावकों में विद्यालय के प्रति विश्वास में वृद्धि हुई। फलस्वरूप छात्र उपस्थिति में क्रमश: बढ़ोत्तरी होने लगी| इस हेतु प्रयास निरन्तर जारी रहा और आगे भी रहेगा|

👉परिवेश में बदलाव का प्रयास :
▪ विद्यालय के सुन्दर भौतिक एवं शैक्षिक परिवेश एक साथ ध्यान रखते हुए विद्यालय परिसर में स्थित एक पुराने और जीर्ण शीर्ण खण्डहरनुमा भवन के निस्तारण हेतु ग्राम प्रधान से बातचीत की, इस भवन पर कुछ स्थानीय व्यक्ति अपना स्वामित्व जताते थे। इन परिस्थितियों में ग्राम प्रधान ने राजनैतिक नफा-नुकसान का आंकलन करते हुये विवाद में पड़ने से मना कर दिया। मैंने कुछ दिन और इंतज़ार किया। इसी बीच आम चुनाव में ग्राम प्रधान बदल गयी। पुनः ग्राम प्रधान, खण्ड शिक्षा अधिकारी और गाँव के 70 के लगभग संभ्रांत व्यक्तियों को विश्वास में लेकर प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों की लिखित अनुमति प्राप्त कर जर्जर भवन की नीलामी बयासी हज़ार रूपए में कराकर उस पैसे से पूरे परिसर का समतलीकरण कराकर पूरे फर्श पर ईंटें बिछवाकर विद्यालय की आकर्षक रंगाई -पुताई, वॉल पेंटिग, दीवारों पर टीएलएम निर्माण, प्रेरक सद्विचारों को लिखाने के साथ पौधरोपण कर परिसर को हराभरा बनाने का संकल्प लिया। इसके साथ पर्याप्त कुर्सी-मेजों, तख़्त आदि की व्यवस्था की। सभी कक्षा-कक्षों में वायरिंग, ब्लैक बोर्ड की मरम्मत, पेंट कराने के साथ ही बच्चों को नियमित कक्षा एवं गृहकार्य देना प्रारंभ किया|
👉ग्रीन स्कूल की मुहिम :
▪ स्वच्छता सम्बन्धी आदतें विकसित करने के क्रम में बच्चों को नियमित साबुन या हैण्डवॉश से हाथ धुलकर पंक्तिबद्ध बैठकर भोजन की व्यवस्था प्रारंभ करायी, कक्षा-कक्ष को स्वच्छ बनाये रखने की जिम्मेदारी कक्षा मॉनीटर सहित बालसमिति को दी| इसी प्रयास के अन्तर्गत स्वच्छता अभियान का आयोजन विद्यालय परिसर में किया गया|

👉बालकेन्द्रित माहौल बनाने का प्रयास :
▪ नियमित विद्यालय आने वाले बच्चों को दैनिक प्रोत्साहन के साथ माह के अन्त में अभिभावकों संग सम्मानित करने की व्यवस्था की शुरुआत की| फलस्वरूप अधिकांश बच्चों में नियमित विद्यालय आने व अभिभावकों में पाल्यों को नियमित भेजने की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई| घर के कार्य में हाथ बँटाने वाली बालिकाओं को विद्यालय तक लाने के लिए निरन्तर अभिभावक सम्पर्क, शिक्षक-माता अभिभावकों की बैठक, महिला दिवस पर विशेष आयोजन कर शिक्षा के महत्व और महिलाओं की भाागीदारी पर चर्चा एवं सतत प्रयास से आज कुल नामांकन में लगभग साठ प्रतिशत बालिकाएँ हैं| व्यवस्था बदलाव के प्रत्येक कार्य सहायक अध्यापक और रसोइयों का पूर्ण योगदान रहा|

▪ बच्चों के अच्छे प्रदर्शन पर प्रोत्साहन व पुरस्कार की व्यवस्था व्यक्तिगत रूप से की गई|

▪️👉सामाजिक सहभागिता से बना सकारात्मक परिवेश:

शुरुआत में विद्यालय प्रबंध समिति की मासिक बैठक में व्यवस्था सुधार पर योजना बनाकर उसके क्रियान्वयन करने पर जोर दिया। तत्पश्चात समस्त राष्ट्रीय पर्वों, बच्चों के जन्मदिन, महत्वपूर्ण दिवसों का आयोजन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ विद्यालय प्रबंध समिति एवं अभिभावकों की उपस्थिति में करने और उनके हाथों से परिसर में पेड़-पौधे लगाने की परम्परा की शुरुआत की तथा उनके पाल्यों को पौधों की देखरेख, सुरक्षा की जिम्मेदारी देने का प्रयास किया। फलस्वरूप आज परिसर में लगभग चार दर्जन से अधिक पौधे एक वर्ष पूरा कर अपने पूर्ण आकार लेने को हैं| स्थानीय लोगों में धीरे-धीरे विद्यालय के प्रति आदर भाव जाग जाने से आज विद्यालय परिसर में विद्यालय संपत्ति को नुकसान पहुँचाने जैसी समस्यायें न केवल पूर्ण रूप से समाप्त हो चुकी हैं बल्कि समय-समय पर विद्यालय को सामुदायिक सहयोग मिलना भी प्रारंभ हो गया है|

👉उपलब्धियाँ बच्चों की :
बच्चे नियमित, समयवद्ध विद्यालय आने लगे, शैक्षिक स्तर में निरन्तर उन्नयन।

👉उपलब्धियाँ विद्यालय की :
आज स्थानीय स्तर, संकुल स्तर, ब्लाक के साथ जनपद में व्यवस्थित संचालित विद्यालयों में गिनती।

साभार :
मोहम्मद आरिफ सिद्दीकी, प्र.अ.
प्राथमिक विद्यालय रुरुगंज प्रथम
विख - बिधूना, जनपद - औरैया

संकलन: ज्ञान प्रकाश
मिशन शिक्षण संवाद औरैया
03-09-2018

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