वतन के लिए
देशभक्ति से ओतप्रोत कविता
जान लेकर हथेली पे निकले हैं हम,
जान दे देंगे प्यारे वतन के लिए।
रक्त माँगे कभी ग़र अपनी जमीं,
खून बहा देंगे अपना चमन के लिए।।
मेरे दिल में भारत माँ की तस्वीर है,
शुरू तुझसे हुई मेरी तकदीर है।
गर जरूरत पड़ेगी तुझको मेरी,
सिर ये हाजिर है तेरा कफन के लिए।।
सरहद की रक्षा में मैं लड़ मरूँ,
लग के दिन रात तेरी मैं सेवा करूँ।
नजर बुरी डाले गर ये दुश्मन कभी ,
मौत दूँगा उसे इस जतन के लिए।।
रचयिता
गीता शाक्य "गीत",
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय इलायचीपुर,
विकास खण्ड-लोनी,
जनपद-गाजियाबाद।
जान लेकर हथेली पे निकले हैं हम,
जान दे देंगे प्यारे वतन के लिए।
रक्त माँगे कभी ग़र अपनी जमीं,
खून बहा देंगे अपना चमन के लिए।।
मेरे दिल में भारत माँ की तस्वीर है,
शुरू तुझसे हुई मेरी तकदीर है।
गर जरूरत पड़ेगी तुझको मेरी,
सिर ये हाजिर है तेरा कफन के लिए।।
सरहद की रक्षा में मैं लड़ मरूँ,
लग के दिन रात तेरी मैं सेवा करूँ।
नजर बुरी डाले गर ये दुश्मन कभी ,
मौत दूँगा उसे इस जतन के लिए।।
रचयिता
गीता शाक्य "गीत",
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय इलायचीपुर,
विकास खण्ड-लोनी,
जनपद-गाजियाबाद।
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