कंप्यूटर जी

क्या होता कंप्यूटर पापा,
क्या होता कंप्यूटर जी?

यह डिब्बा है जादू वाला
जिसमें जादूगरी भरी है,
बिना पंख के जो उड़ती है
कंप्यूटर एक सोनपरी है।
कोई ना जिसको कर पाए,
उसको करता कंप्यूटर जी!

कंप्यूटर पर चित्र बनाओ
मनमर्जी के रंग लगाओ,
चाहों तो सब उलट-पुलटकर
अपनी दुनिया नयी बसाओ।
सबको खूब हँसाता रहता,
पढ़ा-लिखा यह जोकर जी!

हार्डवेयर इसका शरीर है
सॉफ्टवेयर इसका दिल है,
धरती पर रहता है लेकिन
आसमान इसकी मंजिल है।
कहता-मेरे संग-संग उड़ लो,
खा लो थोड़ा चक्कर जी!

रचयिता
रघुनाथ द्विवेदी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गुरौली, 
जनपद-कौशाम्बी।


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