मैं मीना हूँ
बाबा की मैं प्यारी बेटी,
दादी की मैं राजदुलारी,
मिट्ठू है मेरा प्यारा दोस्त,
सबके सुःख-दुःख की मैं साथी,
मैं मीना हूँ......
नदियों सी मैं निर्मल हूँ,
विकटता में भी मैं सबल हूँ,
नहीं कभी भी किसी से डरती,
बाधाओं से डटकर लड़ती,
मैं मीना हूँ....
सबकी बातें धैर्य से सुनती,
चिन्तन मंथन खूब मैं करती,
सही गलत का निर्णय लेती,
न्याय के साथ अपनी बात हूँ कहती,
मै मीना हूँ.....
असंभव को संभव बनाऊँगी,
समाज मे परिवर्तन लाऊँगी,
चलो मिलाएँ हाथ से हाथ,
कहो सब मिलकर एक साथ....
मैं मीना हूँ.....
मत समझो तुम खुद को निर्बल,
अपनी शक्ति को करो जाग्रत,
मैं भी तुम जैसी हूँ...
तुम्हारे अन्दर ही बसती हूँ....
खुद को जानो, खुद को पहचानो वह..
स्वयं को तुम भी `मीना' मानो....
रचयिता
फरज़ाना बानो,
सहायक अध्यापक विज्ञान,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय नेवादा,
विकास खण्ड-शाहगंज,
जनपद-जौनपुर।
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