हे लौह पुरुष शत-शत प्रणाम

हे लौह पुरुष शत-शत प्रणाम।
भारत माँ के गौरव महान।।

तुम प्रखर बुद्धि रणनीतिकार।
हे शेर-ए-हिन्द तुमको प्रणाम।

31 अक्टूबर का दिन महान।
1875  का वो साल।।

माँ लाड़ के घर जन्मा था लाल।
हे कृषक पुत्र तुमको प्रणाम।

हृदय मृदुल वाणी दहाड़।
थे अटल अडिग, हिम से पहाड़।

परहित में दिया जीवन गुजार।
हे भारत रत्न तुमको प्रणाम।

निज पद को क्षण में त्याग दिया।
नेहरू के लिए बलिदान दिया।

दृढ़ निश्चय की तुम हो मिसाल।
हे कर्मवीर तुमको प्रणाम।

यह देश ऋणी रहेगा सदा।
भारत अखण्ड रहेगा सदा।।

एकीकरण का दे गए उपहार।
हे वाक्य पटु तुमको प्रणाम।

यह दिवस एकता दिवस नहीं
गाथा है तेरे पौरुष की।

यह दिवस स्वर्ण सा चमक रहा।
हे शूरवीर तुमको प्रणाम।
     
रचयिता
पुष्पा पटेल,
प्रधानध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय संग्रामपुर,
विकास क्षेत्र-चित्रकूट,
जनपद-चित्रकूट।

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