२६८~ राधा यादव (प्र०अ०) प्राथमिक विद्यालय झाबर का पुर्वा वि०ख-भाग्यनगर, जनपद-औरैया
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से बेसिक शिक्षा की अनमोल रत्न बहन राधा यादव जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और व्यवहार कुशलता से शिकायत और समस्याओं का केन्द्र बन चुके विद्यालय को, बच्चों और अभिभावकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनाकर प्राइवेट विद्यालयों की ओर जा चुके बच्चों को पुनः अपने विद्यालय में वापस बुलाने की सफलता प्राप्त की है जो हम जैसे हजारों शिक्षक साथियों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से आपको सतत आगे बढ़ने की हार्दिक शुभकामनाएं!
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
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राधा यादव (प्र०अ०) प्रा०वि० झाबर का पुर्वा, भाग्यनगर, औरैया
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मैं राधा यादव 31/03/2015 को प्र०अ० के पद पर यहाँ आई तो यहाँ अव्यवस्थाओं का अंवार देखकर मुझे अपने विद्यालय चयन का स्वयं का निर्णय गलत लगा। नामांकित 73 छात्रों के सापेक्ष उपस्थिति मात्र 8-10 छात्रों की ही रहती, उनका शैक्षिक स्तर अति न्यून था। विद्यालय भवन, कक्षा कक्ष के फर्श, श्यामपट्ट गड्ढों में तब्दील, नल के पानी का निकास परिसर के गड्ढों में ही होता था, परिसर में हाथी चारा (पतेर) होने से विद्यालय भवन तक पहुंचना मुश्किल था। शौचालय गंदगी से भरे पड़े थे। ग्रामीण विद्यालय को विद्यालय कहना, सुनना पसंद नहीं कर रहे थे।
👉▪व्यवस्था बदलाव के लिए स्वयं द्वारा किये प्रयास -
मेरे लिए प्रथम प्राथमिकता थी छात्र उपस्थिति। इसके लिए अभिभावकों से मिलने अकेले ही गांव के लिए निकली। पता चला अधिकतर यहाँ के नामांकित बच्चे पास के कस्बे दिबियापुर में पढ़ने जाने लगे थे। अभिभावकों से बेहद निवेदन के साथ एक माह का समय मांगते हुए बदलाव का विश्वास दिलाते हुए बच्चों को विद्यालय भेजने की अपील की....
✡व्यवस्था परिवर्तन हेतु निम्नांकित प्रयास भी किये गये ~
👉 नियमित ससमय घण्टी वादन
👉 नियमित प्रात:सभा और नैतिक शिक्षा, पीटी, सामान्य ज्ञान, इंग्लिश स्पीकिंग का अभ्यास।
👉 बच्चों को अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र देना अनिवार्य करना।
👉 बच्चों को कापियां स्वयं के खर्च से तैयार कराना।
👉 बाल समितियां बनाकर स्वच्छता व पर्यावरण आदि के लिए प्रेरित करना।
👉 नाटक मंचन हेतु बच्चों को स्वयं वाक्यांश, निबंध लेखन हेतु प्रेरित करना।
👉 नियमित अवकाश बाद दो बच्चों के अभिभावकों से सम्पर्क करना।
👉 प्रतिमाह अभिभावक शिक्षक बैठक करना।
👉 विद्यालय अभिलेख व्यवस्थित करना।
👉 विद्यालय व दरवाजे खिड़कियों की मरम्मत, रंगाई-पुताई व प्रेरक वाक्यांश लेखन।
👉 परिसर में 20 ट्राली मिट्टी स्वयं के व्यय से भरवायी।
👉 बच्चों को निजी व्यय से 9/12/2016 को 79 बच्चों को स्वेटर वितरित किये।
👉 प्रति सत्र टाई, बैल्ट, परिचय पत्र, कापी, पेंसिल टूथपेस्ट व टूथब्रश दिये।
👉 निजी व्यय से कक्षा कक्षों में 4 पंखे लगवाये।
👉 प्रतिमाह बच्चों के जन्म दिवस मनाना और उपहार देकर प्रोत्साहित करना।
👉▪छात्र नामांकन व ठहराव
निरन्तर किये गये प्रयासों के पश्चात दिबियापुर से 22 बच्चों की वापसी के साथ ही नामांकन 95 और औसत छात्र उपस्थिति 85% हो गयी।
👉▪ग्रीन स्कूल मुहिम:-
मेरे निजी व्यय, ग्राम पंचायत व एनटीपीसी द्वारा दर्जनों बार लगाये गये पौधेों में कई पौधे ऊसर मिट्टी होने के कारण सूख जाते रहे। बाकी बचे पौधों की देखभाल नियमित कार्य में शामिल है। बच्चे अपने जन्मदिन पर पौधरोपण करते हैं।
👉▪प्रोत्साहन व पुरस्कार -
उपस्थिति व श्रेष्ठ कार्य पर बच्चों को स्टार बॉय, गुड बाॅय नाम देकर, बैज लगाकर, कापी,पेंसिल, कलर, कामिक्स, कैप आदि देकर निरन्तर प्रोत्साहन देना जारी है।
👉▪सामाजिक व संस्थागत सहयोग -
विद्यालय भ्रमण पर आयी एनटीपीसी टीम बच्चों के शैक्षिक स्तर से अतिप्रसन्न हुई। जनरल मैनेजर ने तीन बच्चों को 3000, 2000, 1000 रु. की चैक, समस्त बच्चों को बैग वितरण कर प्रोत्साहित किया और दो मंहगे ब्लैकबोर्ड विद्यालय को दिये। ग्रामवासी भी विद्यालयी कार्यक्रम में शारीरिक सहयोग को सदैव तत्पर रहते हैं।
👉▪वित्तीय व्यवस्थाएं -
कुछ कार्य विद्यालय को मिलने वाले बजट से हो गये लेकिन अधिकतर व्यवस्थाएं मुझे स्वयं एवं समाजिक सहयोग के खर्चे से करनी पड़ी।
👉▪उपलब्धियां -
° 85-90% छात्र उपस्थित।
° छात्रों का उच्च शैक्षिक स्तर।
° जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री शिवप्रसाद यादव जी, माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्री अजब सिंह जी, खण्ड शिक्षा अधिकारी श्री सुधीर गुप्ता जी व सहसमन्वयक श्री लोकेश शुक्ल जी द्वारा छात्रों के उच्च शैक्षिक स्तर की भरपूर प्रशंसा के साथ प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।
° आज अभिभावक मुझे बेहद सम्मान देते हैं जो मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।
👉▪संदेश -
गर हौंसले हों बुलन्द तो हवाओं की क्या औकात है।
तुझे कोई हिला नहीं सकता नहीं किसी में ये बात है।
लेकिन तुम्हें अपने घर जैसा विद्यालय को समझना होगा घर।
नित नये प्रयासों से इस ज्ञान के मंदिर को बनाना होगा सुन्दर।
सच्ची मेहनत और लगन दिखाती है अपना रंग।
लगे कुछ देर ही सही पर बदलती है लोगों के ढंग।
अंधेरों को मिटाकर तू करता स्वर्णिम प्रकाश है।
तुझे कोई हिला नहीं सकता नहीं किसी में ये बात है।
साभार -
राधा यादव (प्र०अ०)
प्राथमिक विद्यालय झाबर का पुर्वा
वि०ख-भाग्यनगर, जनपद-औरैया
संकलन - ज्ञान प्रकाश
मिशन शिक्षण संवाद औरैया
नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
सहयोगी मिशन परिवार
विमल कुमार
24-10-2018
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