जतिन दा
जतिन दा
जन्म दिवस विशेष
जतीन्द्रनाथ दास:
63 दिनों का अनशन 25 साल का क्रांतिकारी।
लाहौर सेन्ट्रल जेल से सुलगी आजादी की चिंगारी।
आज़ादी का जुनूनी सिपाही जतीन्द्रनाथ दास।
असहयोग आंदोलन में भूमिका जिनकी खास।
27 अक्टूबर 1904 में कलकत्ता में हुआ जन्म।
13 अप्रैल 1929 लाहौर में हुआ निधन।
कलकत्ता में भवानीपुर एक गाँव है खास।
माता नाम सुहासिनी देवी पिता बिहारी दास।।
9 साल उम्र हुई तो माता का स्वर्गवास।
सन 1920 में किया मैट्रिक परीक्षा पास।
असहयोग आंदोलन में कूद पड़े गांधी जी के साथ।
जेल गए यातना भोगी पर डिगा नही विश्वास।।
इनके अंदर भरा हुआ था क्रांति का उन्माद।
लक्ष्य एक था एक इरादा भारत हो आजाद।।
सान्याल के साथ में मिलकर किया एक संस्था का निर्माण।
'हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ इस संस्था का नाम।
इसे बनाने में दास ने अहम किरदार निभाया।
कई क्रांतिकारियों को जोड़ा, संस्था को मजबूत बनाया।
यूरोपियों से लूट मारकर भारी फंड जुटाया।
जंगे आजादी में धन का सच्चा उपयोग कराया।।
इस दौरान जतिन दास ने बम बनाना सीखा।
अत्याचारी शासन के खात्मे का एक तरीका।।
सन 1925 में काकोरी कांड में किये गए गिरफ्तार।
जेल में क्रांतिकारियों के संग देखा अमानवीय व्यवहार।
फिर दास ने इसके खिलाफ अपना अनशन शुरू किया।
दिवस कुल 20 बीत गये पानी तक नहीं पिया।
साहस देखके डर गया जेलर मजबूरन काम किया।
जेलर ने माफ़ी माँगी 21 वें दिन जेल से रिहा किया।
तभी बुलाया भगत सिंह ने जतिन आगरा आओ।
असेम्बली हिल जाए ऐसा तगड़ा बम बनाओ।।
असेंबली में बम जो फेंके भगत सिंह सरदार।
जतिन्द्रनाथ दास के द्वारा ही किये गए तैयार।।
14 जून 1929 को दास को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया।
लाहौर षडयंत्र केस के तहत जेल में डाल दिया।
कैदियों के साथ बदसुलूकी देखा बहुत दुखी हुए जतिन।
13 जुलाई 1929 को शुरू किया अनशन।।
अधिकारियों ने समझाया पर अनशन को न तोड़ा।
63 वें दिन भूख प्यास से काया ने संग छोड़ा।।
इनकी अंतिम शव यात्रा में नेता जी बोस भी शामिल।
अश्रुपूरित नेत्रों से शहीद को दी श्रद्धांजलि।।
हुआ सुपुर्दे खाक कलकत्ता का क्रांतिकारी।
स्वतत्रंता की बलिवेदी पर छिटकायी चिन्गारी।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
जन्म दिवस विशेष
जतीन्द्रनाथ दास:
63 दिनों का अनशन 25 साल का क्रांतिकारी।
लाहौर सेन्ट्रल जेल से सुलगी आजादी की चिंगारी।
आज़ादी का जुनूनी सिपाही जतीन्द्रनाथ दास।
असहयोग आंदोलन में भूमिका जिनकी खास।
27 अक्टूबर 1904 में कलकत्ता में हुआ जन्म।
13 अप्रैल 1929 लाहौर में हुआ निधन।
कलकत्ता में भवानीपुर एक गाँव है खास।
माता नाम सुहासिनी देवी पिता बिहारी दास।।
9 साल उम्र हुई तो माता का स्वर्गवास।
सन 1920 में किया मैट्रिक परीक्षा पास।
असहयोग आंदोलन में कूद पड़े गांधी जी के साथ।
जेल गए यातना भोगी पर डिगा नही विश्वास।।
इनके अंदर भरा हुआ था क्रांति का उन्माद।
लक्ष्य एक था एक इरादा भारत हो आजाद।।
सान्याल के साथ में मिलकर किया एक संस्था का निर्माण।
'हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ इस संस्था का नाम।
इसे बनाने में दास ने अहम किरदार निभाया।
कई क्रांतिकारियों को जोड़ा, संस्था को मजबूत बनाया।
यूरोपियों से लूट मारकर भारी फंड जुटाया।
जंगे आजादी में धन का सच्चा उपयोग कराया।।
इस दौरान जतिन दास ने बम बनाना सीखा।
अत्याचारी शासन के खात्मे का एक तरीका।।
सन 1925 में काकोरी कांड में किये गए गिरफ्तार।
जेल में क्रांतिकारियों के संग देखा अमानवीय व्यवहार।
फिर दास ने इसके खिलाफ अपना अनशन शुरू किया।
दिवस कुल 20 बीत गये पानी तक नहीं पिया।
साहस देखके डर गया जेलर मजबूरन काम किया।
जेलर ने माफ़ी माँगी 21 वें दिन जेल से रिहा किया।
तभी बुलाया भगत सिंह ने जतिन आगरा आओ।
असेम्बली हिल जाए ऐसा तगड़ा बम बनाओ।।
असेंबली में बम जो फेंके भगत सिंह सरदार।
जतिन्द्रनाथ दास के द्वारा ही किये गए तैयार।।
14 जून 1929 को दास को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया।
लाहौर षडयंत्र केस के तहत जेल में डाल दिया।
कैदियों के साथ बदसुलूकी देखा बहुत दुखी हुए जतिन।
13 जुलाई 1929 को शुरू किया अनशन।।
अधिकारियों ने समझाया पर अनशन को न तोड़ा।
63 वें दिन भूख प्यास से काया ने संग छोड़ा।।
इनकी अंतिम शव यात्रा में नेता जी बोस भी शामिल।
अश्रुपूरित नेत्रों से शहीद को दी श्रद्धांजलि।।
हुआ सुपुर्दे खाक कलकत्ता का क्रांतिकारी।
स्वतत्रंता की बलिवेदी पर छिटकायी चिन्गारी।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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