चार पल की जिंदगी

चार पल की जिंदगी, हर रिश्ता प्रेम से संभाल लें,
परवाह किसी की करें भला क्यों, राहें खुद ही संवार लें।
काँटों से घबराएँ भला क्यों, चुनौतियों को स्वीकार लें।
आँसुओं से क्यों कमजोर बनें, कमियों को अपनी सुधार लें।
गीत बनकर इन हवाओं में, खुशियों को मन मे उतार लें।
हम क्यों डरें भला किसी से, कदमों को आगे बढ़ाये रहें।
कोशिशों का साथ छोड़े क्यों, मंजिलों को अगर पा सकें।
खोकर कुछ हम पछताएँ क्यों, खोकर ही एक सबक लें।
तकदीर भरोसे रहें भला क्यों, कर्मों से किस्मत की रेखा खुद बना सकें।
ऊँचाइयों से घबराएँ क्यों, काम करें कुछ ऐसा कि ऊँचाइयों को छू सकें।

रचयिता
नमिता,
प्रभारी अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय फत्तेपुर मोहारी,
विकास खण्ड-मछरेहटा,
जिला-सीतापुर।

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