लौह पुरुष

लौह पुरुष जी को शत-शत नमन

नमन हम करते,
भारत के लाल को।
वंदन हम करते,
सरदार पटेल को।

लौह पुरुष ने जन्म लिया,
किसान परिवार के घर में।
31 अक्टूबर 1875 को,
करमसद गाँव, गुजरात में।

प्रारम्भिक शिक्षा स्वयं की,
उच्च शिक्षा लन्दन में।
बैरिस्टर पढ़ वकील बने,
वकालत की अहमदाबाद में।

जिस भूमि पर जन्म लिया,
संकल्प उसे बचाने का किया।
स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया,
मन गांधी जी से प्रेरित हुआ।

बारडोली सत्याग्रह का,
नेतृत्व किया पटेल ने।
सरदार की उपाधि को,
प्रदान किया महिलाओं ने।

रियासतों के बिखरे भारत को,
एकीकरण में बाँध दिया।
खण्ड-खण्ड भारत को,
अखण्ड भारत बना दिया।

एकीकरण के कारण ही,
लौह पुरुष कहलाये।
उनके जन्मदिवस को ही,
राष्ट्रीय एकता दिवस मनायें।

जब देश आजाद हुआ,
प्रथम गृहमंत्री बने।
सभी को गर्व हुआ,
उप-प्रधानमंत्री बने।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
ट्रेन सेवा देने वाले।
सामर्थ्य और संकल्प से,
देश का मान बढ़ाने वाले।

अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर,
कमजोरी को ताकत बनायी।
उम्मीद की किरण बनकर,
जन-जन में आस जगायी।

सच्चे देशभक्त बन,
संसार मे पहचान दिलाये।
सन 1991 में,
भारत रत्न वो पाये।

आज का शुभ दिन,
इतिहास में दर्ज किया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना,
सरदार जी को सम्मान दिया।

सरदार सरोवर बांध में,
नर्मदा नदी के बीच।
दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति,
हुई भारत की जीत।

31 अक्टूबर 2018 को,
आये अनमोल क्षण।
किया उद्घाटन मूर्ति का,
मोदी जी को नमन।

सरदार वल्लभ भाई पटेल,
हैं बहुत महान।
हो गए अजर -अमर,
शत-शत नमन, शत-शत नमन।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

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