२५६~ रजनीश द्विवेदी उच्च प्राथमिक विद्यालय बाबटमऊ, माधौगंज, हरदोई

🌹अनमोल रत्न🌹

जब 2017 मैंने विद्यालय का चार्ज लिया। उस समय यह एक टूटा-फूटा अव्यवस्थित विद्यालय था। जहाँ छात्र उपस्थिति जैसी अनेकों व्यवहारिक समस्याएँ थी। मैंने चार्ज लेने के उपरांत कुछ कर दिखाने का संकल्प लिया। सबसे पहले मिड-डे-मील की गुणवत्ता सुधारी। उसके बाद स्कूल में टूटे हुए फर्नीचर की वेल्डिंग कराई। स्कूल में कबाड़ में जमा झूलों को लगवाया। स्कूल में 5 साइकिल को टायर ट्यूब डलवाकर उनको चलने योग्य बनवाया। विद्यालय में 1 हाल जो बनने के बाद बन्द पड़ा था, जिसमें धूल मिट्टी कबाड़ के सिवा कुछ न था। उसको खुलवाया, जिसमें साँप, बिच्छू भी निकले। सफाई कराकर उसको बैठने योग्य बनवाया। प्रत्येक रूम में 1 एक पंखा लगवाया, जबकि हाल में 2 पंखे लगवाये। स्कूल की साफ-सफाई कराके अब छात्रों को स्कूल तक लाने का प्रयास प्रारंभ हुआ। मेहनत रंग लाई और छात्रों की संख्या बढ़ने लगी। प्राइवेट स्कूलों से नाम कटाकर बच्चे स्कूल आने लगे।
धीरे-धीरे कक्षा-6 में ही 98 नामांकन हो गए।
कक्षा-7 में 37 व 8 में 40 नामांकन हो गए। नामांकन प्रकिया रोकनी पड़ी क्योंकि बैठने की जगह ही नहीं थी। उसके बाद बच्चों को विशेष कर छात्राओं को सिलाई-कढ़ाई, संगीत, मेहंदी आदि की शिक्षा देना प्रारंभ किया।


स्कूल में बैडमिंटन, क्रिकेट, कबड्डी, खो-खो आदि खेल खिलाने प्रारंभ किए। इसमें उच्च प्राथमिक विद्यालय इशरापुर के अध्यापक श्री विकास द्विवेदी का साथ मिला। विकास जी ने अपने और मेरे स्कूल की छात्राओं को मिलाकर बालिका बैडमिंटन की टीम तैयार की जिसने न्याय पंचायत, ब्लॉक, जिला, मंडल स्तर पर गोल्ड मेडल जीता, दुर्भाग्य से स्टेट में फाइनल में हार गयी और रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
2017-18 में विधायक जी ने ब्लॉक के बेस्ट टीचर का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया। अब बारी आयी वर्तमान सत्र की जिसमें नवीन प्रवेश करने के लिए लाइन लग गयी। क्लास 6 में 71 नामांकन किए, जबकि 7 में संख्या 102 व 8 में 43 हो गई। अब विद्यालय में 216 छात्र हैं। ये संख्या और भी अधिक हो सकती थी किंतु बैठने की जगह ही नहीं है। कुछ नया करने के लिए इस बार तो क्या विद्यालय के इतिहास में प्रथम बार बच्चों को अपनी ओर से टाई और बेल्ट प्रदान की। विद्यालय की जर्जर स्थिति को काफी हद तक सुधारा। जिसमें मुख्य इमारत के कमरों की फर्श, बरामदे की पूरी फर्श, बाउंड्री वाल का उखड़ा प्लास्टर, विद्यालय प्रांगण में ब्रम्हदेव बाबा के चबूतरा का नया निर्माण स्वयं के खर्च से कराया। कुछ सहयोग एसएमसी ने भी किया। अब बारी थी विद्यालय के रंग-रोगन की जिसमें मुख्य इमारत को ट्रेन की तरह पेंट करवाया। विद्यालय में मॉडल शौचालय भी बन रहा है जिसका कार्य शनिवार से प्रारंभ भी हो गया जिसमें सबमर्सिबल भी लगेगा। विद्यालय में चंपा, चमेली, रातरानी, अशोक, बेला, गुलाब, जूही, हैच, एज आदि लगवाये, जो विद्यालय की शोभा बढ़ा रहे। किचन में सामान रखने के लिए छोटे बड़े 16 एयर टाइट कंटेनर है। इसके साथ एक बात और बताना चाहता हूँ कि उच्च प्राथमिक विद्यालय बाबटमऊ आजादी से पहले का स्कूल है। गाँव वाले बताते हैं कि ये विद्यालय 1945 का है। जबकि इसकी मान्यता 1955 में प्रदान की गई। इसका प्रथम शिलान्यास प्रो० तकदीर हुसैन, ओंटारियो विश्वविद्यालय कनाडा के कर कमलों द्वारा किया गया। जबकि इमारत का निर्माण 1993 में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री भरत सिंह के द्वारा कराया गया। ये विद्यालय जनपद के प्राचीन विद्यालय में एक है। हम इसके उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है।



रजनीश द्विवेदी
इंचार्ज प्रधानाध्यापक
उच्च प्राथमिक विद्यालय बाबटमऊ,
माधौगंज, हरदोई

संकलन: आशीष शुक्ला
मिशन शिक्षण संवाद हरदोई
दिनांक 26-08-2018

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