मैं एक मासूम सा नन्हा बचपन
मैं एक मासूम सा नन्हा बचपन,
मिला स्नेह मुझे जब हर पल!
मम्मा पापा की गोद में जाकर,
खेला था मै उस पल,
भैया दीदी चाचू-दादी
मुझे प्यार से गले लगाते,
फिर हल्की सी थपकी देकर,
सभी प्यार से मुझे सुलाते,
बचपन का स्नेह न मिलता,
दुबारा ढूँढो चाहे जितने पल!
मैं एक मासूम सा............
कुछ ही दिन बीते थे कि,
बड़ा हुआ जब मेरा बचपन,
हल्के-हल्के कदमों से बस,
चलना सीखा अम्मा से,
पानी को मम कहना सीखा,
मैंने अपनी मम्मा से,
बार-बार वो दिन आ जाएँ,
गुजरे न फिर कभी वो पल!
मैं एक मासूम सा............
माँ का प्यार पापा का दुलार मेरी पाठशाला,
सब कुछ सीखते समझते हो गया मैं दुसाला,
फिर धीरे-धीरे रोज सबेरे जाने लगा मैं भी स्कूल..!
मै एक मासूम सा......
रोज सुबह मम्मा नहलाती,
हँसा खिला के स्कूल भगाती,
फिर विद्यालय के सारे साथी और
मैडम जी सुबह से आती,
अब कहाँ गए सब सारे,
अब क्यूँ नहीं होती वो हलचल !
मै एक मासूम सा......
फिर धीरे-धीरे सबके संग हँस खेलकर,
मैंने पढ़ना-लिखना सीखा,
घर का प्यार गुरु जी की फटकार,
फिर दोस्तों संग झगड़ना सीखा,
उलटपलट कर किताबो के पन्नों को
फिर मैंने भी पढ़ना सीखा,
अब नहीं आते लौट के वो,
बीते दिन बीते मौसम!
मैं एक मासूम सा नन्हा बचपन,
मिला स्नेह मुझे जब हर पल ....😊
रचयिता
चन्दन सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय विलास पहाड़ी,
जनपद-चित्रकूट (उ.प्र.)।
मिला स्नेह मुझे जब हर पल!
मम्मा पापा की गोद में जाकर,
खेला था मै उस पल,
भैया दीदी चाचू-दादी
मुझे प्यार से गले लगाते,
फिर हल्की सी थपकी देकर,
सभी प्यार से मुझे सुलाते,
बचपन का स्नेह न मिलता,
दुबारा ढूँढो चाहे जितने पल!
मैं एक मासूम सा............
कुछ ही दिन बीते थे कि,
बड़ा हुआ जब मेरा बचपन,
हल्के-हल्के कदमों से बस,
चलना सीखा अम्मा से,
पानी को मम कहना सीखा,
मैंने अपनी मम्मा से,
बार-बार वो दिन आ जाएँ,
गुजरे न फिर कभी वो पल!
मैं एक मासूम सा............
माँ का प्यार पापा का दुलार मेरी पाठशाला,
सब कुछ सीखते समझते हो गया मैं दुसाला,
फिर धीरे-धीरे रोज सबेरे जाने लगा मैं भी स्कूल..!
मै एक मासूम सा......
रोज सुबह मम्मा नहलाती,
हँसा खिला के स्कूल भगाती,
फिर विद्यालय के सारे साथी और
मैडम जी सुबह से आती,
अब कहाँ गए सब सारे,
अब क्यूँ नहीं होती वो हलचल !
मै एक मासूम सा......
फिर धीरे-धीरे सबके संग हँस खेलकर,
मैंने पढ़ना-लिखना सीखा,
घर का प्यार गुरु जी की फटकार,
फिर दोस्तों संग झगड़ना सीखा,
उलटपलट कर किताबो के पन्नों को
फिर मैंने भी पढ़ना सीखा,
अब नहीं आते लौट के वो,
बीते दिन बीते मौसम!
मैं एक मासूम सा नन्हा बचपन,
मिला स्नेह मुझे जब हर पल ....😊
रचयिता
चन्दन सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय विलास पहाड़ी,
जनपद-चित्रकूट (उ.प्र.)।
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