सरदार वल्लभ भाई पटेल

भारत में जब फैला था अंग्रेजों का आतंक।
31 अक्टूबर 1875 को जन्मा भारत माँ का सन्त।।

अंग्रेजों का था दुश्मन गरीबों का था भाई।
कोई कहता लौह पुरुष कोई कहता वल्लभ भाई।।

रोजी-रोटी के लिये लन्दन जाकर की बैरिस्टर की पढ़ाई।
गाँधी जी से प्रेरित होकर छेड़ी स्वतन्त्रता की लड़ाई।।

स्वतन्त्रता का पहला चरण था गुजरात का खेड़ा।
किसानों को कर से राहत दिलवाकर अंग्रेजों को पछेड़ा।।

असहयोग आन्दोलन मे ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार किया।
सूट-बूट को त्याग कर खादी को स्वीकार किया।।

1928 में बारदोली मे बाढ़ और अकाल से मचा था हाहाकार।
अंग्रेजों के गवर्नर को झुकाकर बने सरदारों के सरदार।।

1930 के नमक सत्याग्रह में अंग्रेजों ने किया गिरफ्तार।
गुजरात के तीव्र आन्दोलन से गांधी और पटेल को रिहा की सरकार।।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात एकीकरण की ऐसी नीति चलायी।
जूनागढ़, हैदराबाद सहित 565 रियासतों की भारत मे विलय करायी।

इस बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता ने भारत को अखण्ड किया।
त्याग के प्रतिमूर्ति को पटेल से लौहपुरुष बना दिया।।

रचयिता
ब्रजेश कुमार द्विवेदी,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हृदयनगर,
जनपद-बलरामपुर।

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