विश्व पर्यावरण दिवस

पेड़ों का संसार कहाँ है

प्रकृति का शृंगार कहाँ है

सूखे से है त्रस्त वसुंधरा

पानी का भण्डार कहाँ है

पेड़ों का संसार कहाँ है।.....


अब ऐसा अभियान चलायें

जगह-जगह पर पेड़ लगायें

कुसुम-कुसुम  पर मंडराते

भ्रमरों  का गुंजार  कहाँ है

पेडों का संसार  कहाँ  है।.......


शरद की तो चाँदनी है पर

वह झल-मल नीहार कहाँ है

उजड़ रहे हैं वन-उपवन सब

फूलों का अंबार कहाँ है

पेड़ों का संसार कहाँ है।......


वह सुन्दर सा सर कहाँ है

कमल के ऊपर भ्रमर कहाँ है

जीवन का आधार कहाँ है

वह अपनापन प्यार कहाँ है

पेड़ों का संसार कहाँ है।......


क्षण-क्षण चित्त चुरा ले जो

वह चितवन.... वह सार है

यूँ तो तार अनेकों हैं पर....

वीणा का झंकार कहाँ है

पेड़ों का संसार कहाँ है।... ..


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।



Comments

Total Pageviews