महारानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस

मैं अपनी झाँसी न दूँगी,

उद्धघोष किया था रानी ने,

दुश्मन के छक्के छूट गए,

जब युद्ध किया महारानी ने।।


सन अठरह सौ अट्ठावन का,

दिवस 18 जून रहा।

आजादी की जल उठी ज्योति,

जब रानी ने अपना खून दिया।।


वीरों की अग्रिम पंक्ति में,

स्थान बनाया रानी ने।

जिन्हें गर्व था अपनी सत्ता का,

उन्हें धूल चटायी रानी ने।।


अन्त समय तक रानी का तन,

अंग्रेज विधर्मी छू न पाये।

जो ख्वाब सजाये बैठे थे,

वो ख्वाब न पूरे हो पाये।।


धू-धू कर जल उठी चिता,

गंगादास की कुटिया में।

सर्वोपरि देश की आजादी,

सन्देश दिया था दुनिया में।।


क्रांति का अमर दीप बनकर,

सबको दिखलाया रानी ने।

बलिदानी देश की परम्परा का,

मान बढ़ाया रानी ने।।


रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,

(स्टेट अवार्डी टीचर)

पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

Comments

  1. बहुत सुन्दर रचना👌👌💐💐🇮🇳🙏🇮🇳🚩

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