104/2024, बाल कहानी -30 मई
बाल कहानी- सूरज और गुलाब
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एक छोटा सा गुलाब का पौधा था। रोज सुबह जब आसमान में सूरज आता तो गुलाब उसे देखकर खुश हो जाता था।
एक दिन आसमान में बादल छाये हुए थे। जिसके कारण सूरज नहीं दिखायी दे रहा था। गुलाब बहुत उदास हो गया। उसने सोचा कि आज सूरज नहीं आया, क्या बात हुई? तभी कहीं से उड़कर तितली आयी। तितली ने गुलाब से कहा-, "उदास लग रहे हो! क्या बात है?" गुलाब ने कहा-, "नहीं..नहीं, ऐसे ही।" तभी एक भँवरा वहाँ आया। उसने गुलाब को उदास देखकर गुलाब से कहा-, "क्या बात है? आज उदास लग रहे हो! क्या हुआ?"
गुलाब ने कहा-, "आज अभी तक सूरज नहीं आया, क्या बात हो गयी? पता नहीं सूरज कहाँ चला गया।" भँवरे ने गुलाब से कहा-, "सूरज तो आसमान से कहीं नहीं गया है। आज बादलों की वजह से वह दिखायी नहीं दे रहा है।" तभी जोर से बारिश शुरू हुई। जब वर्षा रूकी तो सूरज दिखायी देने लगा। सूरज को देखकर गुलाब का पौधा खुश हो गया।
संस्कार सन्देश-
सूर्य की रोशनी पड़ते ही फूलों के अन्दर एक तरह की रासायनिक प्रक्रिया होती है, जिसके कारण फूल खिल जाते हैं।
लेखिका-
दमयन्ती राणा ( स०अ०)
रा० उ० प्रा० वि० ईड़ाबधाणी
कर्णप्रयाग, चमोली (उत्तराखण्ड)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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