विश्व पर्यावरण दिवस

प्रकृति ने दिए हैं हमको, अनेकों उपहार 

अपनी लालच के चक्कर में कर रहे उससे दुर्व्यवहार।


स्वच्छ नदियों का जल दिया,

वृक्षों से छाया, भोजन, फल दिया।


शुद्ध हवा दी, प्रकाश दिया 

पर्वत, घाटी और मैदान दिया।


 प्रकृति ने सदैव ही हमको दिया,

कभी न हमसे बदले में कुछ भी लिया।

 

मगर अपनी सुविधाओं के खातिर,

हमने इसका क्या हाल किया।

 

जंगल के जंगल साफ कर दिए,

प्रदूषण से इसका बुरा हाल कर दिया।


अब न शुद्ध हवा है, न जल है,

तप रही धरती हर पल है।


वक्त अभी भी है सँभल जाओ,

प्रकृति को मिल के बचाओ।


भूमि जो हो चुकी है बंजर,

फिर से उसपे हरियाली सजाओ।


प्रकृति ने हमको बहुत दे दिया,

अब आओ मिल के इसका कर्ज़ चुकाएँ,

 "चलो फिर से इसको हरा बनाएँ।"


रचयिता

हिना सिद्दीकी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कुंजलगढ़,
विकास खण्ड-कैंपियरगंज,
जनपद-गोरखपुर।

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