बादल

काले-काले छाये बादल 

पानी लेकर आये बादल,

खेतों को सरसाये बादल 

बच्चों के मन भाये बादल 


झूम उठे सब   बच्चे सारे

हैं भीगे-भीगे लगते  प्यारे,

कैसा रूप दिखाये बादल

बच्चों  को डराये  बादल।


मोहन  श्यामू  राजू सीता 

दौड़ी-दौड़ी  आयी  गीता,

हैं  गर्मी दूर भगाये बादल 

अमृत हैं  बरसाये  बादल।


बरस  रहा है  जोर से पानी 

कितनें हैं बादल  अभिमानी,

बिजली कहाँ छिपाये बादल 

किस दुनिया से आये बादल। 


सब  बच्चों ने  भी है  ठानी

उनमें राहुल  बहुत है ज्ञानी,

नदियों से पानी लाये बादल 

खेतों में जल बरसाये बादल।


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।

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