काव्यांजलि
*#काव्यांजलि*
टीम # *मिशन शिक्षण संवाद* की ओर से कविताओं का नया संग्रह,
🔵🔴 *#काव्यांजलि_2223* 🔴🔵
दिनांक- 04 जून 2024
दिन- मंगलवार
कक्षा- 7, विषय- हमारा भूमण्डल
पाठ- 4, भाग- 2
*धरातल के रूप बदलने वाले कारक (बाह्य कारक)*
बाह्य बल हैं हिमानी-नदिया,
समुद्र की लहरें और पवन।
प्रवाहित जल भी है शामिल,
जो लाते संरचना में परिवर्तन।।
बाह्य शक्तियाँ धरातल को,
काँट-छाँट समतल बनाती हैं।
बाह्य शक्तियों के द्वारा ही,
तोड़-फोड़ की जाती है।।
टूटे हुए सब टुकड़ों को,
इकट्टा किया जाता है।
भूपटल की यह क्रिया,
अनाच्छादन कहलाता है।।
अनाच्छादन के हैं तीन प्रकार,
अपक्षय, अपरदन, निक्षेपण।
तीनों क्रियाएँ साथ मिलकर,
ऊँचे भाग को करतीं समतल।।
🙏 *रचना-*
रुखसाना बानो (स०अ०)
कम्पोजिट विद्यालय अहरौरा
जमालपुर, मिर्ज़ापुर
✏️ *संकलन*
📝 *काव्यांजलि टीम,*
*मिशन शिक्षण संवाद*
# *काव्याँजलि*#
टीम *मिशन शिक्षण संवाद* की ओर से कविताओं का नया संग्रह
🔵🟣 *काव्याॅंजलि 1109* 🟣🔵
दिनाँक- 04/06/2024, दिन – मंगलवार
कक्षा-. सप्तम
विषय- संस्कृत
नवम: पाठ:
*अस्माकं पर्यावरणम्*(भाग-2)
पिता बोले- गगनमण्डल,
नदियांँ, जंगल और धरा।
पर्यावरण के अन्तर्गत आते,
ये जीव-जगत ही सारा।।
इनमें से कुछ को हम,
जैविक घटक हैं कहते।
और कुछ घटक होते ऐसे,
जिन्हें अजैविक घटक हम कहते।।
पृथ्वी, अग्नि और आकाश,
सब अजैविक घटक कहलाते।
मानव, पशु-पक्षी, जल-जन्तु,
पेड़-पौधे घटक जैविक कहलाते।।
निज हित से पर्यावरण पर,
संकट बड़ा छा गया।
फिर पर्यावरण बचाने का,
समय अब ये आ गया।।
🙏रचना-:
पुष्पा बहुगुणा (प्र०प्र०अ०)
रा० उ० प्रा० विद्यालय पिपोला
वि० ख०- जाखणीधार
जनपद–टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड
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