पापा मेरे प्यारे हैं
मैं पापा की बिटिया रानी
पापा मेरे प्यारे हैं।
उनके सत्कर्मों से पोषित
सब अरमान हमारे हैं।।
पापा हैं तो जग अपना है
सभी खिलौने अपने हैं,
बैठ गोद में हमने देखे
प्यारे -प्यारे सपने हैं,
संस्कार की परिभाषा वह हैं
और सिद्धांत हमारे हैं।
पापा- पापा कहते थे हम
बड़े मजे में रहते थे,
बच्चों की खुशियों की खातिर
हर मुश्किल वह सहते थे,
बच्चों का दुख दूर भगा
वह खुशियों के रखवारे हैं।
अ, आ, इ, ई, ए, बी, सी, डी
ज्ञान गणित का पापा हैं
जीवन के हर अनुच्छेद का
आत्मज्ञान भी पापा हैं,
कर्तव्यों का संविधान वह
और अधिकार हमारे हैं।
वह कहते मैं सबसे सुंदर
ईश्वर का उपहार हूँ,
पापा से है मेरी दुनिया
मैं उनका संसार हूँ,
पापा ही व्यक्तित्व समूचा
पापा सबसे न्यारे हैं।
मैं पापा की बिटिया रानी
पापा मेरे प्यारे हैं।
उनके सत्कर्मों से पोषित
सब अरमान हमारे हैं।।
रचयिता
यशोधरा यादव 'यशो'
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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