जय भीम जय अम्बेडकर

जय भीम जय अम्बेडकर, आप को शत - शत  नमन  है
युग प्रवर्तक संविधान निर्माता, आपको शत - शत नमन है

धन्य हो गई भारत भूमि, तुझ सा लाल अमूल्य जो पाया है,
दलितों को सम्मान मिला, अधिकार उन्होंने अपना पाया है।

सबको शिक्षा सबको ज्ञान, विद्या से अलख आपने जगाया है,
वंचित, शोषित, दलितों को, अपना हक लेना सिखलाया है।

देव भूमि  है भारत की, जन्म लिये यहाँ कई दिव्य महान
मानव  को मानव समझो, दे गये  सीख  ये भीम भगवान।

रामजी और भीमाबाई को मिला 14 अप्रैल 1891 में पुत्र रत्न उपहार,
14 भाई-बहनों में  बस, अम्बेडकर जी  को पढ़ाई से था प्यार।

जातिगत भेदभाव ने 'अछूत' नाम  से किया बारम्बार अपमान,
ठाना मन में, दिलाकर रहेंगे, शोषितों को उनका जीवन सम्मान।

32  डिग्रियों  और  9 भाषाओं  का सम्पूर्ण  ज्ञान  लिये
लौटे भारत  में राजनीति और अर्थशास्त्र  का मान लिये।

शिक्षा  के  इस  पुजारी  ने  शिक्षा  की  ज्योति  जलाई
मानव धर्म  है सबसे ऊपर, सबको  बात यही  बतलाई

भाँति - भाँति  के  मानव  में  रक्त  बहे  एक  समान,
जाति धर्म  से  परे बनें, सबका  अपना  हिन्दुस्तान।

एक न्याय और एक विधान, नतमस्तक  हो विश्व प्रधान
शिक्षा पर सबका अधिकार, वंचित, दलित, महिला हो या पुरुष प्रधान।

सबका साथ सबका विकास, सोच बदलकर बदला इतिहास,
हे युग निर्माता, युग प्रवर्तक, आप करते जन-जन के हृदय में वास।

हर माँ अब क्षत्राणी है, मानवाधिकार पाकर पुत बना सर्वप्रथम इंसान,
विश्व पटल परअमिट छाप को, रच डाला आपने  भारतीय संविधान।

अब  न  रहे कोई  दुःखी  लाचार, न  हो  कोई अत्याचार,
शत-शत नमन आपको, युगों-युगों तक हो जय जयकार।

रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
डोभी, जौनपुर।

Comments

Total Pageviews