महावीर स्वामी

प्रेम, अहिंसा और सत्य के
तुम हो परम उपासक

खुद जियो और सबको जीने दो
पुण्य मंत्र के साधक

बैर-बैर से शांत न होते
तुमने हमें यही सिखाया

शत्रु-मित्र का भाव छोड़कर
सहज प्रेम से गले लगाया

सम्यक विचार, सम्यक दर्शन,
सम्यक चरित्र अपनाया।

और इन्हीं को प्रभो! आपने,
सदा त्रिरत्न बताया।

पंच महाव्रत कहकर तुमने,
दुनिया को वरदान दिया।

सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य,
अस्तेय को मान दिया।

आज इस प्राकट्य दिवस पर,
करती हूँ मैं वन्दन।

हे नवयुग! के महापुरुष,
तेरा शुभ अभिनन्दन।

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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