अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक,38,सुधा सिंह राजपूत ,बाँदा
*👩🏻🏫अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक*
*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2309492699328314&id=1598220847122173
*👩👩👧👧महिला सशक्तीकरण- 38*
(दिनाँक- 11 अप्रैल 2019)
नाम-सुधा सिंह राजपूत
पद-प्रधानाध्यापिका
विद्यालय-प्राथमिक विद्यालय नंदवारा
क्षेत्र- महुआ,जिला- बांदा
*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
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*चुनौती*
प्रथम नियुक्ति- 8 जुलाई 2009
पदोन्नति- 26/05/2015
अस्वच्छ व गंदा परिवेश
शिक्षा का माहौल नहीं।
*प्रयास*
1-भौतिक परिवेश- सबसे पहले जब मैंने विद्यालय ज्वॉइन किया तो विद्यालय का भौतिक परिवेश ठीक किया। बच्चों के साथ मिलकर पूरे विद्यालय में ढेर सारे पेड़ लगाएं बागवानी की शुरुआत की अब मेरे विद्यालय का भौतिक परिवेश बहुत अच्छा है।
2-बच्चों की उपस्थिति- बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए सबसे पहले मैंने बच्चों के साथ मित्रता का व्यवहार किया ,और नए नए तरीकों से नवाचारो से शिक्षण कार्य शुरू किया।बच्चों की उपस्थिति बढ़ने लगी,। अब मेरे यहां 180 में से 160 बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आते हैं।
3-खेलों में प्रतिभाग- हर साल मेरे यहां से बच्चे संकुल रैली में प्रथम, ब्लॉक रैली में प्रथम चैंपियनशिप जीत कर ,जिला स्तरीय रैली में द्वितीय ,और मंडल स्तरीय कीड़ा रैली में प्रतिभाग किया।
4- प्रार्थना सभा- प्रार्थना के बाद राष्ट्रगान, गायत्री मंत्र ,योगा पीटी रोज कराया जाता है। इसके बाद बच्चों द्वारा एक प्रेरक कहानी सुनाई जाती है।
5-समुदाय का सहयोग- मेरे द्वारा किए जा रहे कार्यों को देखकर मेरे गांव वाले भी मेरा सहयोग करते हैं।
6-पुरस्कार व्यवस्था- बच्चों के साथ साथ मैं गांव वालों को भी समय-समय पर पुरस्कृत करती रहती हूं प्रतिदिन विद्यालय भेजने वाले अभिभावको को भी सम्मानित करती हूं सभी अभिभावक मीटिंग में प्रतिभाग करते हैं।
7-विद्यालय की उपलब्धियां- मेरा विद्यालय मॉडल विद्यालय है और जिला स्तर पर चयनित विद्यालय है
8-अध्यापिका की प्रतिभागिता - मिशन शिक्षण संवाद द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय सेमिनार में प्रतिभाग
डायट मेला में प्रतिभाग
शैक्षिक उन्नयन मेला में प्रतिभाग
अरविंदो सोसायटी द्वारा आयोजित शून्य निवेश नवाचार मेला में प्रतिभाग
मास्टर ट्रेनर के रूप में ब्लॉक स्तर पर प्रतिभाग
9-प्रेरक संदेश- जीवन में कुछ करना है ,तो मन को मारे मत बैठो।
चलो कदम से कदम मिलाकर ,दूर किनारे मत बैठो।
अंत में मैं यही कहूंगी प्रत्येक शिक्षक अपने छात्र का आदर्श होता है ,बच्चा अपने शिक्षक जैसा बनना चाहता है ,इसलिए इस पद पर हमें ऐसा आचरण करना चाहिए कि हम दूसरों के समक्ष एक मिसाल प्रस्तुत कर सकें। धन्यवाद
_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*
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