३१४~ जमाल अहमद खाँ (प्रधानाध्यापक) पूर्व माध्यमिक विद्यालय दानियालपुर, हरहुआ, वाराणसी
🏅अनमोल रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-वाराणसी से आदरणीय अनमोल रत्न जमाल अहमद खाँ से करा रहे हैं। जिनकी सकारात्मक सोच और समर्पित प्रयासों से सम्पूर्ण विद्यालय परिवेश एक परिवार बन गया। जिसे सम्पूर्ण प्रदेश में अब टीम दानियालपुर के नाम से सम्मानित पहचान प्राप्त है।
आइये जानते हैं सीखते है आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
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मैं जमाल अहमद ख़ाँ प्रधानाध्यापक पूर्व माध्यमिक विद्यालय दानियालपुर, हरहुआ, जनपद-वाराणसी। मेरी प्रथम नियुक्ति सहायक अध्यापक के रूप में 15 दिसम्बर 1994 में पूर्व माध्यमिक विद्यालय उगापुर, औराई, जनपद-भदोही में हुई उसके बाद 24 सितम्बर-2005 में पदोन्नति हुई। अंतर्जनपदीय स्थानांतरित होकर 18 जनवरी-2007 को वर्तमान विद्यालय पर कार्यभार ग्रहण किया।
जब मैं विद्यालय पर आया तो विद्यालय की भौतिक स्थिति तो ठीक थी लेकिन शैक्षिक स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं थी। नामांकन के सापेक्ष उपस्थिति की दर बहुत ही निराशाजनक (20-25%) थी। यह मेरे लिये सबसे बड़ी चुनौती थी। जिसमें सुधार के लिये मैंने गाँव में जनसम्पर्क करना शुरू किया और यह निश्चित किया कि नामांकन वास्तविक हो और उपस्थिति प्रतिशत बेहतर रहे। जिसका परिणाम यह रहा कि नामांकन दर तो घटी लेकिन उपस्थिति प्रतिशत में वृद्धि हुई। उसके बाद शैक्षिक गुणवत्ता और सह-शैक्षिक गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया जिससे विद्यालय के विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर में वृद्धि तो हुई ही साथ ही विद्यालय ने सत्र 2010-11 में ब्लॉक स्तर, जिला स्तर तथा मण्डल स्तर पर सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया और स्थान भी प्राप्त किया। यह सिलसिला निरन्तर चलता रहा।
इसी दौरान सन-2015 में मेरे विद्यालय पर विज्ञान-गणित भर्ती में दो सहायक अध्यापिकाओं _श्रीमती अनुभूति गुप्ता_ एवं _श्रीमती अमृता सिंह_ की नियुक्ति हुई। जिनसे मुझे अपेक्षित सहयोग मिलने लगा और विद्यालय के विकास के लिये मेरी सोच को और मजबूती मिली। मैंने सभी कक्षा कक्षों में #लर्निंग_काॅर्नर और #स्पीकर की व्यवस्था की जिसके लिये आवश्यक धन स्वयं वहन किया। विद्यालय की रंगाई-पुताई में भी पुट्टी और पेण्ट का प्रयोग किया जाता है, जिसमें भी कुछ धन स्वयं मेरे द्वारा लगाया जाता है।
विद्यालय के बाहरी परिवेश में बहुत कुछ करने की तनिक भी गुंजाइश ही नहीं थी क्योंकि विद्यालय भवन के अतिरिक्त तनिक भी भूमि विद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है।
👉मेरे द्वारा नामांकन एवं उपस्थिति में सुधार हेतु किये गये प्रयासः-
🔸विद्यार्थियों की उपस्थिति शत प्रतिशत करने के लिये मैंने एक छोटा सा नवाचार किया जिसको नाम दिया गया *उपस्थिति का सम्मान, मिली नई पहचान*। इसमें प्रत्येक माह कक्षा में 100% उपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को रिबन रूपी बैज 🎗 लगा कर सम्मानित किया जाता है जिसका परिणाम यह रहा कि 100% उपस्थिति वाले विद्यार्थियों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गयी।
आगे चलकर मैंने प्रांगण में ही स्थित प्राथमिक विद्यालय को भी इस नवाचार में सम्मिलित कर लिया और वहाँ भी अपेक्षानुरूप ही परिणाम रहा।
👉विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु किया गया प्रयास:-
🔸मैंने कुछ अवसरों पर देखा विद्यार्थियों को जानकारी के बावजूद अपनी बात व्यक्त करने में झिझक होती थी। उसके लिये मैंने *प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय* के सभी अध्यापकों के साथ एक बैठक की जिसमें इस बिंदु पर चर्चा की गयी। जिससे एक नवाचार का सुझाव प्राप्त हुआ जिसको नाम दिया गया *निर्माण छः दलों का, मिला हर बच्चे को मौका*।
इस नवाचार में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के सभी विद्यार्थियों को छः दलों में बाँट दिया गया। प्रत्येक दल में एक _कप्तान_ और एक _उप-कप्तान_ नियुक्त किया गया। दलों का नाम महापुरुषों के नाम पर व प्रत्येक दल को विशेष रंग भी आवंटित किया गया। कप्तान और उप-कप्तान को उनके दल के रंग की एक सदरी (कोटी) 🧥 प्रदान किया गया जिसे उन्हें प्रतिदिन पहन कर आना अनिवार्य होता है।
सप्ताह के छः दिनों की प्रार्थना सभा का दायित्व इन छः दलों को आवंटित किया गया। जिसमें *प्रार्थना सभा* में प्रार्थना कराना और कुछ प्रेरक प्रसंगों को दल के अलग अलग विद्यार्थियों से प्रस्तुत कराना होता है। इसका परिणाम यह रहा कि विद्यार्थियों की झिझक धीरे-धीरे दूर होने लगी है। इस कार्य में भी जो धनराशि खर्च हुई वह भी स्वयं ही वहन किया।
👉सहयोगियों से प्राप्त हो रहा सहयोग-----
सहायक अध्यापिका _श्रीमती अनुभूति गुप्ता_ ने कक्षाओं में एक नवाचार का प्रयोग किया जिसमें कक्षा में *पंक्ति नायक* नियुक्त किया गया जिससे कक्षा शिक्षण में प्रत्येक विद्यार्थियों तक अपनी पहुँच बनाना बहुत आसान हो गया।
विद्यालय में 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन छात्र छात्राओं द्वारा बहुत ही मनमोहक प्रस्तुतियों का आयोजन होने लगा। विद्यालय जैसा कि पूर्व में भी जिला, ब्लॉक और मण्डल स्तर पर प्रतिभाग करता था उसमें भी अब निखार आया और सत्र-2017-18 में विद्यालय ने मण्डल स्तर पर समूह गान में तृतीय स्थान प्राप्त किया था और सत्र 2018-19 में मण्डल स्तर पर राष्ट्रीय एकांकी में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। जिसमें सहायक अध्यापिका _श्रीमती अमृता सिंह_ की भूमिका सर्वोपरि है। श्रीमती सिंह मिशन की जिला स्तरीय द्वितीय कार्यशाला और क्षेत्रीय कार्यशाला में विद्यालय के नवाचारों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत कीं तथा डायट पर आयोजित शैक्षिक मेले में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय दानियालपुर का इन्होंने प्रतिनिधित्व किया और tlm और ppt का प्रस्तुतिकरण किया। जिसमें विद्यालयीय स्तर पर पुरस्कृत भी हुईं।
👉मिशन शिक्षण संवाद से मेरा परिचय:-
मिशन शिक्षण संवाद की *जिला प्रभारी श्रीमती सरिता राय* से मेरा परिचय _श्रीमती अमृता सिंह_ ने ही करवाया।
वास्तव में विद्यालय व विद्यार्थियों के लिए कुछ करने की इच्छाशक्ति होने के बावजूद भी विद्यालय का माहौल उदासीन था। परंतु मिशन से जुड़ने के बाद मेरे अदंर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। तब से लेकर अब तक मैंने स्वयं मिशन के ब्लॉक एडमिन के रूप में कई लोगों को मिशन से जोड़ा है।
👉विशेष:-
प्राथमिक विद्यालय से जुड़ने के पश्चात् हमारी जो टीम बनी उसने हममें से प्रत्येक को एक दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ने व कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही हमारी टीम को पूरे जनपद में *"टीम दानियालपुर"* नाम की विशिष्ट पहचान के साथ स्थापित किया।
👉अन्य का सहयोग:-
🔸मुझे प्राथमिक विद्यालय के सहयोगियों का भी सहयोग प्राप्त हुआ जबसे मैंने दोनों विद्यालयों की गतिविधियों को साथ-साथ कराने लगा। विशेषकर प्राथमिक विद्यालय के _श्री शशि भूषण त्रिपाठी_ एवं _श्री जितेंद्र सिंह_ का मुझे हर क्षण अपेक्षित सहयोग मिलता रहता है जिसने सदैव मेरे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया है।
🔸मुझे मेरे ग्राम प्रधान *श्री गोविंद प्रसाद सिंह* का भी सहयोग प्राप्त हुआ है, उनके ही सहयोग से विद्यालय पर पानी के लिये सबमर्सिबल पम्प (बिजली और सोलर दोनों) को लगवाया गया है। साथ ही पानी पीने और हाथ धोने के लिये अलग से नल आदि की व्यवस्था की गई है।
👉मिशन शिक्षण संवाद के जनपदीय तृतीय कार्यशाला के आयोजन का मौका:--
मुझे माह सितम्बर-2018 में मिशन की तृतीय जनपदीय कार्यशाला को आयोजित कराने का दायित्व मिला जिसको मेरी *टीम दानियालपुर* ने सहर्ष स्वीकार किया और सबकी अपेक्षा पर खरा उतरने का पूरा प्रयास किया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि वाराणसी *डायट प्राचार्य श्री उमेश शुक्ल* जी थे और उन्होंने _"हमारे नवाचार उपस्थिति का सम्मान मिली नयी पहचान को बहुत सराहा और अपने डायट पर भी लागू करने के लिये कहा।"_
👉वार्षिक परीक्षाफल वितरण एवं विदाई समारोह:-
👉🏻विद्यालय में प्रतिवर्ष कक्षा-5 व कक्षा-8 के विद्यार्थियों का संयुक्त रूप से विदाई समारोह का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें उनको आशीर्वाद और उपहार प्रदान किया जाता है।
👉🏻 प्रतिवर्ष वार्षिक परीक्षाफल वितरण के दिन कक्षा-1 से कक्षा-8 तक के कक्षा में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र और शील्ड दिया जाता है तथा पूरे वर्ष 100% उपस्थित विद्यार्थियों को शील्ड।
दलों के कप्तान और उप कप्तान को तथा ऑलराउंडर विद्यार्थी को भी शील्ड प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
🙏🏻उपर्युक्त प्रयासों का परिणामः-
🔸स्वयं ग्राम प्रधान द्वारा ग्रामवासियों (विशेष रूप से महिला अभिभावकों) की ओर से फीडबैक देते हुए यह बताया गया कि वर्तमान में विद्यालय की गुणवत्ता अपने सर्वोत्तम स्तर पर है।
🔸सत्र 2018-19 में नामांकन पिछले सत्र (129) के सापेक्ष 163 तथा वर्तमान सत्र 2019-20 में 11 अप्रैल तक 152 हो चुकी है।
👉🏻 शिक्षक व समाज को मेरा संदेश:-
🔸शिक्षक अपने समय का 100% उपयोग करते हुए अपनी संपूर्ण ऊर्जा विद्यालय व विद्यार्थियों को समर्पित करने की ठान ले तो *शिक्षा का उत्थान व शिक्षक का सम्मान* स्वतःस्फूर्त हो जाएगा।
🔸समाज के अभिभावक यह ठान लें कि एक रोटी कम खाएँगे पर बच्चों को स्कूल जरूर भेजेंगे, तो समाज की तस्वीर बहुत जल्द बदलती हुई दिखेगी।
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साभार:-
जमाल अहमद खाँ (प्रधानाध्यापक)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय दानियालपुर, हरहुआ, वाराणसी
संकलन: सरिता राय जी
मिशन शिक्षण संवाद वाराणासी
नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
टीम मिशन शिक्षण संवाद
14-04-2019
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-वाराणसी से आदरणीय अनमोल रत्न जमाल अहमद खाँ से करा रहे हैं। जिनकी सकारात्मक सोच और समर्पित प्रयासों से सम्पूर्ण विद्यालय परिवेश एक परिवार बन गया। जिसे सम्पूर्ण प्रदेश में अब टीम दानियालपुर के नाम से सम्मानित पहचान प्राप्त है।
आइये जानते हैं सीखते है आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2311508979126686&id=1598220847122173
मैं जमाल अहमद ख़ाँ प्रधानाध्यापक पूर्व माध्यमिक विद्यालय दानियालपुर, हरहुआ, जनपद-वाराणसी। मेरी प्रथम नियुक्ति सहायक अध्यापक के रूप में 15 दिसम्बर 1994 में पूर्व माध्यमिक विद्यालय उगापुर, औराई, जनपद-भदोही में हुई उसके बाद 24 सितम्बर-2005 में पदोन्नति हुई। अंतर्जनपदीय स्थानांतरित होकर 18 जनवरी-2007 को वर्तमान विद्यालय पर कार्यभार ग्रहण किया।
जब मैं विद्यालय पर आया तो विद्यालय की भौतिक स्थिति तो ठीक थी लेकिन शैक्षिक स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं थी। नामांकन के सापेक्ष उपस्थिति की दर बहुत ही निराशाजनक (20-25%) थी। यह मेरे लिये सबसे बड़ी चुनौती थी। जिसमें सुधार के लिये मैंने गाँव में जनसम्पर्क करना शुरू किया और यह निश्चित किया कि नामांकन वास्तविक हो और उपस्थिति प्रतिशत बेहतर रहे। जिसका परिणाम यह रहा कि नामांकन दर तो घटी लेकिन उपस्थिति प्रतिशत में वृद्धि हुई। उसके बाद शैक्षिक गुणवत्ता और सह-शैक्षिक गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया जिससे विद्यालय के विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर में वृद्धि तो हुई ही साथ ही विद्यालय ने सत्र 2010-11 में ब्लॉक स्तर, जिला स्तर तथा मण्डल स्तर पर सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया और स्थान भी प्राप्त किया। यह सिलसिला निरन्तर चलता रहा।
इसी दौरान सन-2015 में मेरे विद्यालय पर विज्ञान-गणित भर्ती में दो सहायक अध्यापिकाओं _श्रीमती अनुभूति गुप्ता_ एवं _श्रीमती अमृता सिंह_ की नियुक्ति हुई। जिनसे मुझे अपेक्षित सहयोग मिलने लगा और विद्यालय के विकास के लिये मेरी सोच को और मजबूती मिली। मैंने सभी कक्षा कक्षों में #लर्निंग_काॅर्नर और #स्पीकर की व्यवस्था की जिसके लिये आवश्यक धन स्वयं वहन किया। विद्यालय की रंगाई-पुताई में भी पुट्टी और पेण्ट का प्रयोग किया जाता है, जिसमें भी कुछ धन स्वयं मेरे द्वारा लगाया जाता है।
विद्यालय के बाहरी परिवेश में बहुत कुछ करने की तनिक भी गुंजाइश ही नहीं थी क्योंकि विद्यालय भवन के अतिरिक्त तनिक भी भूमि विद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है।
👉मेरे द्वारा नामांकन एवं उपस्थिति में सुधार हेतु किये गये प्रयासः-
🔸विद्यार्थियों की उपस्थिति शत प्रतिशत करने के लिये मैंने एक छोटा सा नवाचार किया जिसको नाम दिया गया *उपस्थिति का सम्मान, मिली नई पहचान*। इसमें प्रत्येक माह कक्षा में 100% उपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को रिबन रूपी बैज 🎗 लगा कर सम्मानित किया जाता है जिसका परिणाम यह रहा कि 100% उपस्थिति वाले विद्यार्थियों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गयी।
आगे चलकर मैंने प्रांगण में ही स्थित प्राथमिक विद्यालय को भी इस नवाचार में सम्मिलित कर लिया और वहाँ भी अपेक्षानुरूप ही परिणाम रहा।
👉विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु किया गया प्रयास:-
🔸मैंने कुछ अवसरों पर देखा विद्यार्थियों को जानकारी के बावजूद अपनी बात व्यक्त करने में झिझक होती थी। उसके लिये मैंने *प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय* के सभी अध्यापकों के साथ एक बैठक की जिसमें इस बिंदु पर चर्चा की गयी। जिससे एक नवाचार का सुझाव प्राप्त हुआ जिसको नाम दिया गया *निर्माण छः दलों का, मिला हर बच्चे को मौका*।
इस नवाचार में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के सभी विद्यार्थियों को छः दलों में बाँट दिया गया। प्रत्येक दल में एक _कप्तान_ और एक _उप-कप्तान_ नियुक्त किया गया। दलों का नाम महापुरुषों के नाम पर व प्रत्येक दल को विशेष रंग भी आवंटित किया गया। कप्तान और उप-कप्तान को उनके दल के रंग की एक सदरी (कोटी) 🧥 प्रदान किया गया जिसे उन्हें प्रतिदिन पहन कर आना अनिवार्य होता है।
सप्ताह के छः दिनों की प्रार्थना सभा का दायित्व इन छः दलों को आवंटित किया गया। जिसमें *प्रार्थना सभा* में प्रार्थना कराना और कुछ प्रेरक प्रसंगों को दल के अलग अलग विद्यार्थियों से प्रस्तुत कराना होता है। इसका परिणाम यह रहा कि विद्यार्थियों की झिझक धीरे-धीरे दूर होने लगी है। इस कार्य में भी जो धनराशि खर्च हुई वह भी स्वयं ही वहन किया।
👉सहयोगियों से प्राप्त हो रहा सहयोग-----
सहायक अध्यापिका _श्रीमती अनुभूति गुप्ता_ ने कक्षाओं में एक नवाचार का प्रयोग किया जिसमें कक्षा में *पंक्ति नायक* नियुक्त किया गया जिससे कक्षा शिक्षण में प्रत्येक विद्यार्थियों तक अपनी पहुँच बनाना बहुत आसान हो गया।
विद्यालय में 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन छात्र छात्राओं द्वारा बहुत ही मनमोहक प्रस्तुतियों का आयोजन होने लगा। विद्यालय जैसा कि पूर्व में भी जिला, ब्लॉक और मण्डल स्तर पर प्रतिभाग करता था उसमें भी अब निखार आया और सत्र-2017-18 में विद्यालय ने मण्डल स्तर पर समूह गान में तृतीय स्थान प्राप्त किया था और सत्र 2018-19 में मण्डल स्तर पर राष्ट्रीय एकांकी में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। जिसमें सहायक अध्यापिका _श्रीमती अमृता सिंह_ की भूमिका सर्वोपरि है। श्रीमती सिंह मिशन की जिला स्तरीय द्वितीय कार्यशाला और क्षेत्रीय कार्यशाला में विद्यालय के नवाचारों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत कीं तथा डायट पर आयोजित शैक्षिक मेले में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय दानियालपुर का इन्होंने प्रतिनिधित्व किया और tlm और ppt का प्रस्तुतिकरण किया। जिसमें विद्यालयीय स्तर पर पुरस्कृत भी हुईं।
👉मिशन शिक्षण संवाद से मेरा परिचय:-
मिशन शिक्षण संवाद की *जिला प्रभारी श्रीमती सरिता राय* से मेरा परिचय _श्रीमती अमृता सिंह_ ने ही करवाया।
वास्तव में विद्यालय व विद्यार्थियों के लिए कुछ करने की इच्छाशक्ति होने के बावजूद भी विद्यालय का माहौल उदासीन था। परंतु मिशन से जुड़ने के बाद मेरे अदंर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। तब से लेकर अब तक मैंने स्वयं मिशन के ब्लॉक एडमिन के रूप में कई लोगों को मिशन से जोड़ा है।
👉विशेष:-
प्राथमिक विद्यालय से जुड़ने के पश्चात् हमारी जो टीम बनी उसने हममें से प्रत्येक को एक दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ने व कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही हमारी टीम को पूरे जनपद में *"टीम दानियालपुर"* नाम की विशिष्ट पहचान के साथ स्थापित किया।
👉अन्य का सहयोग:-
🔸मुझे प्राथमिक विद्यालय के सहयोगियों का भी सहयोग प्राप्त हुआ जबसे मैंने दोनों विद्यालयों की गतिविधियों को साथ-साथ कराने लगा। विशेषकर प्राथमिक विद्यालय के _श्री शशि भूषण त्रिपाठी_ एवं _श्री जितेंद्र सिंह_ का मुझे हर क्षण अपेक्षित सहयोग मिलता रहता है जिसने सदैव मेरे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया है।
🔸मुझे मेरे ग्राम प्रधान *श्री गोविंद प्रसाद सिंह* का भी सहयोग प्राप्त हुआ है, उनके ही सहयोग से विद्यालय पर पानी के लिये सबमर्सिबल पम्प (बिजली और सोलर दोनों) को लगवाया गया है। साथ ही पानी पीने और हाथ धोने के लिये अलग से नल आदि की व्यवस्था की गई है।
👉मिशन शिक्षण संवाद के जनपदीय तृतीय कार्यशाला के आयोजन का मौका:--
मुझे माह सितम्बर-2018 में मिशन की तृतीय जनपदीय कार्यशाला को आयोजित कराने का दायित्व मिला जिसको मेरी *टीम दानियालपुर* ने सहर्ष स्वीकार किया और सबकी अपेक्षा पर खरा उतरने का पूरा प्रयास किया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि वाराणसी *डायट प्राचार्य श्री उमेश शुक्ल* जी थे और उन्होंने _"हमारे नवाचार उपस्थिति का सम्मान मिली नयी पहचान को बहुत सराहा और अपने डायट पर भी लागू करने के लिये कहा।"_
👉वार्षिक परीक्षाफल वितरण एवं विदाई समारोह:-
👉🏻विद्यालय में प्रतिवर्ष कक्षा-5 व कक्षा-8 के विद्यार्थियों का संयुक्त रूप से विदाई समारोह का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें उनको आशीर्वाद और उपहार प्रदान किया जाता है।
👉🏻 प्रतिवर्ष वार्षिक परीक्षाफल वितरण के दिन कक्षा-1 से कक्षा-8 तक के कक्षा में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र और शील्ड दिया जाता है तथा पूरे वर्ष 100% उपस्थित विद्यार्थियों को शील्ड।
दलों के कप्तान और उप कप्तान को तथा ऑलराउंडर विद्यार्थी को भी शील्ड प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
🙏🏻उपर्युक्त प्रयासों का परिणामः-
🔸स्वयं ग्राम प्रधान द्वारा ग्रामवासियों (विशेष रूप से महिला अभिभावकों) की ओर से फीडबैक देते हुए यह बताया गया कि वर्तमान में विद्यालय की गुणवत्ता अपने सर्वोत्तम स्तर पर है।
🔸सत्र 2018-19 में नामांकन पिछले सत्र (129) के सापेक्ष 163 तथा वर्तमान सत्र 2019-20 में 11 अप्रैल तक 152 हो चुकी है।
👉🏻 शिक्षक व समाज को मेरा संदेश:-
🔸शिक्षक अपने समय का 100% उपयोग करते हुए अपनी संपूर्ण ऊर्जा विद्यालय व विद्यार्थियों को समर्पित करने की ठान ले तो *शिक्षा का उत्थान व शिक्षक का सम्मान* स्वतःस्फूर्त हो जाएगा।
🔸समाज के अभिभावक यह ठान लें कि एक रोटी कम खाएँगे पर बच्चों को स्कूल जरूर भेजेंगे, तो समाज की तस्वीर बहुत जल्द बदलती हुई दिखेगी।
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साभार:-
जमाल अहमद खाँ (प्रधानाध्यापक)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय दानियालपुर, हरहुआ, वाराणसी
संकलन: सरिता राय जी
मिशन शिक्षण संवाद वाराणासी
नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
टीम मिशन शिक्षण संवाद
14-04-2019
अद्भुत,अविस्मरणीय, अनुकरणीय जमाल सर...दानियलपुर टीम आपको बहुत बहुत बधाई व अग्रिम शुभकामनाएं💐💐👍👍😊😊
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