बेटी

नन्ही बेटी गुड़िया सी है
यह जादू की पुड़िया सी है।
इसमें फूलों की कोमलता है
तितली जैसी चंचलता  है।
अन्नपूर्णा के गुण हैं इसमें
छाया जैसी शीतलता है।
रानी झाँसी की आग है इसमें
दिल में शबनम सी ममता है।
रौशनी है और रोशनाई भी है
दो कुलों की किस्मत लिखने
की    भी      क्षमता है।
जिस घर में बेटी नहीं होती
वह सूना-सूना लगता  है।
बेटी होने से आँगन और घर
दोनों ही सुहाना  लगता है।
इसके बिना अधूरी है दुनिया
क़ुदरत की पहचान है यह।
इसको जीवित रहने दो
हर माँ का अरमान है यह।।
 ईश्वर  की सुंदर रचना है और
पापा का अभिमान है यह।।
हम सब का सम्मान है यह
हम सबका सम्मान है यह।।
                 
रचयिता
जमीला खातून, 
प्रधानाध्यापक, 
बेसिक प्राथमिक पाठशाला गढधुरिया गंज,
नगर क्षेत्र मऊरानीपुर, 
जनपद-झाँसी।

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