एक श्रृंगार ऐसा भी

लोकतंत्र के इस पर्व में
हो एक एहसास ऐसा भी
करो चाहें जैसा भी पर
हो एक श्रृंगार ऐसा भी

कुर्ता झलके धोती दमके
पहनो कोई भी परिधान जी
इंसान हो चाहें जैसा भी
पर हो एक श्रृंगार ऐसा भी।

गंगा की पावन लहरों पर
अर्पित किये दीपदान भी
माँगे वरदान जैसा भी पर
हो एक श्रृंगार ऐसा भी

शपथ ली, लिया संकल्प
होंगे शत-प्रतिशत मतदान भी
मन में हो चाहें जैसा भी पर
हो एक श्रृंगार ऐसा भी

रंगोली से सन्देश दिया
चलाया जागरूकता अभियान भी
दिल में हो चाहें जैसा भी पर
हो एक श्रृंगार ऐसा भी

29 अप्रैल दिन सोमवार
करना है मतदान अबकी बार
करो चाहें जैसा भी पर
हो एक श्रृंगार ऐसा भी

रचयिता
नरेंद्र प्रताप सिंह,
प्राथमिक विद्यालय खजुहा,
विकास खण्ड-गुगरापुर,
जनपद-कन्नौज।

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