स्वच्छता गीत

आओ मिलकर सँवारे, निखारे अपना देश, 
दूर करें अंधियार हो रोशन अपना परिवेश।                           
देखो मलिन हो रही है, गंगा और यमुना                           
हिमालय पर भी त्रासदी रच रही है रचना।                       
जागो, के फिर न मिलेगा समय जागो,
के बदले हम अपना देश।
आओ मिलकर संवारे, निखारे अपना देश                             
दूर करें अंधियारा, हो रोशन अपना परिवेश।
कैसे भूल गये हम वेदों की वाणी,
स्वच्छ मन, स्वच्छ जीवन हो स्वच्छ हो, अन्न और पानी
पर्यावरण न करें दूषित हम करें न दूषित हम अपना देश।       
आओ मिलकर संवारे, निखारे अपना देश   
दूर करें अंधियारा, हो रोशन अपना परिवेश।                               
रचयिता
मोहम्मद अहमद,
सहायक अध्यापक,
रा0आ0प्राथमिक बीरोंखाल,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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